Volkswagen Car Plant Shuts: फॉक्सवैगन (Volkswagen) जर्मनी में अपने कुछ प्लांट्स को बंद करने की योजना बना रही है. इसके पीछे मुख्य कारण एशियाई, खासकर चीनी, इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं से बढ़ती प्रतिस्पर्धा है. यह कदम कंपनी के लिए महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देता है, जो वित्तीय दबावों का सामना कर रही है. कंपनी ने 2026 तक 10 अरब यूरो बचाने के लिए एक लागत कटौती कार्यक्रम शुरू किया था, लेकिन अब उसे और 4 अरब यूरो की बचत की आवश्यकता है.


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क्या है वजह 


फॉक्सवैगन के CEO ओलिवर ब्लूम के अनुसार, यूरोपीय ऑटोमोटिव बाजार बहुत चुनौतीपूर्ण स्थिति में है, और जर्मनी प्रतिस्पर्धा में पीछे रह गया है. कंपनी को व्यापक रूप से पुनर्गठन करना पड़ेगा, और प्लांट बंद होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. इससे संबंधित जर्मनी में लगभग 120,000 नौकरियों पर असर पड़ सकता है.


एम्सडेन में स्थित फॉक्सवैगन का प्लांट, जहां ID.4 इलेक्ट्रिक कारों का निर्माण होता है, विशेष रूप से प्रभावित हो सकता है. इस क्षेत्र की समृद्धि काफी हद तक इन कंपनियों पर निर्भर है, और प्लांट्स के बंद होने से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लग सकता है.


क्षेत्रीय नेता कर रहे हैं विरोध 


श्रम संघ और क्षेत्रीय नेता इस फैसले का कड़ा विरोध कर रहे हैं, और इसे "अनुचित और खतरनाक" करार दे रहे हैं. वे इसे "फॉक्सवैगन के दिल को नष्ट करने वाला" मान रहे हैं और सभी साइटों और नौकरियों को बचाने के लिए पूरी ताकत से लड़ने का संकल्प ले रहे हैं.


कंपनी के भीतर चल रहे संघर्ष और जर्मन ऑटोमोबाइल उद्योग में हो रहे इस बदलाव को देखते हुए, विशेषज्ञ मानते हैं कि फॉक्सवैगन के लिए यह कदम अनिवार्य हो सकता है. अब तक, उत्पादन क्षमता में कमी को आपूर्तिकर्ताओं से होने वाली बचत से संतुलित किया जा रहा था, लेकिन अब यह पर्याप्त नहीं है.


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इस पूरी स्थिति के बीच, जर्मन सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वह संघर्षरत कार निर्माताओं के मार्ग में रुकावट न डाले, ताकि नए उभरते उद्योगों को आवश्यक श्रमिक मिल सकें. इस तरह की परिस्थितियों में फॉक्सवैगन का यह कदम जर्मनी के ऑटोमोबाइल उद्योग में एक नए युग की शुरुआत का संकेत देता है, जहां कम्पीटीशनऔर इनोवेशन के दबाव में पुराने तरीकों को छोड़ने की आवश्यकता होगी.