BS6 vs BS7 Norms: बीएस (Bharat Stage) नॉर्म्स भारत में वाहन उत्सर्जन (emission) मानकों का एक सेट है, जो केंद्र सरकार द्वारा प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए लागू किया जाता है. ये नॉर्म्स यह तय करते हैं कि वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण का स्तर कितना होना चाहिए. बीएस नॉर्म्स यूरोपीय उत्सर्जन मानकों (Euro norms) पर आधारित हैं और इन्हें समय-समय पर अपडेट किया जाता है ताकि वायु प्रदूषण को कम किया जा सके.


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बीएस नॉर्म्स का इतिहास:


BS1: 2000 में लागू किया गया.
BS2: 2005 में लागू किया गया.
BS3: 2010 में लागू किया गया.
BS4: 2017 में लागू किया गया.
BS6: 1 अप्रैल 2020 से लागू हुआ। (बीएस5 को स्किप कर दिया गया था)


BS6 नॉर्म्स के बाद BS7:


BS6 नॉर्म्स में वाहनों से निकलने वाले नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), हाइड्रोकार्बन (HC), पार्टिकुलेट मैटर (PM), और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) के स्तर को पहले से कहीं अधिक सख्त किया गया था. इस नॉर्म में डीजल वाहनों के लिए पार्टिकुलेट मैटर का उत्सर्जन 80% और NOx का उत्सर्जन 70% तक कम किया गया.


BS7 नॉर्म्स की संभावना पर बात करें, तो अभी तक सरकार द्वारा इसे लागू करने के बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। हालांकि, पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बढ़ते कदमों को देखते हुए भविष्य में बीएस7 नॉर्म्स की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.


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बीएस नॉर्म्स का महत्व:


बीएस नॉर्म्स का मुख्य उद्देश्य वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करना और वातावरण में हानिकारक गैसों के उत्सर्जन को कम करना है. ये नॉर्म्स सुनिश्चित करते हैं कि वाहन निर्माता अपने इंजनों को अधिक कुशल और पर्यावरण के अनुकूल बनाएं.


बीएस7 नॉर्म्स की दिशा में आगे बढ़ने से पहले, सरकार और वाहन निर्माता तकनीकी रूप से तैयार होने की कोशिश कर रहे हैं ताकि जब भी ये नॉर्म्स लागू हों, वाहन उसी के अनुरूप बनाए जा सकें.