नई दिल्ली: भारत सरकार की ओर से 8 नवंबर 2016 की आधी रात से लागू नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक के पास करीब 99.30 प्रतिशत मुद्रा वापस आई है. यह आंकड़ा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के सालाना रिपोर्ट (2017-18) में सामने आया है. नोटबंदी में 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट पर पाबंदी लगा दी गई थी. हालांकि बाद में 500 रुपये के नए नोट जारी किए गए थे, लेकिन पुराने नोट पर पूर्ण पाबंदी लगा दी गई. साथ ही सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि 1000 रुपये के नोट अब नहीं छपेंगे. सरकार ने 2000 रुपये के नोट भी नोटबंदी के बाद लेकर आई, जो आज चलन में हैं.


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केंद्रीय बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, रिजर्व बैंक के सभी केंद्रों से जमा कुल 15,310.73 अरब नोट सर्कुलेशन से वापस आए. सालाना आंकड़े में बताया गया है कि मार्च 2018 तक बैंक नोट के सर्कुलेशन में 37.7 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई है. इसी तरह, बैंक नोट का वॉल्यूम 2.1 प्रतिशत बढ़ा है. इसी तरह मार्च 2017 तक 500 रुपये के नए नोट और 2000 रुपये के नोट की सर्कुलेशन हिस्सेदारी 72.7 प्रतिशत दर्ज की गई थी जो मार्च 2018 तक बढ़कर 80.2 प्रतिशत हो गई. 


नोटबंदी को लेकर रार
संसद की एक समिति में शामिल भाजपा सांसदों ने नोटबंदी पर विवादित मसौदा रिपोर्ट को स्वीकार करने से रोक दिया है. यह रिपोर्ट मोदी सरकार के नोटंबदी के निर्णय के लिहाज से महत्वपूर्ण है. समिति में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी शामिल हैं. वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली वित्त पर संसद की स्थायी समिति ने मसौदा रिपोर्ट में कहा कि नोटबंदी का निर्णय व्यापक प्रभाव वाला था. इससे नकदी की कमी के कारण सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कम-से-कम एक प्रतिशत की कमी आई और असंगठित क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ी.


स्‍टेट बैंक के कई ATM नए नोट के अनुकूल नहीं
नोटबंदी के इतने  समय बाद भी देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक के 18,135 एटीएम को अभी भी नए नोटों के अनुरूप नहीं ढाला जा सका है. हालांकि, इस अवधि में बैंक ने 22.50 करोड़ रुपये के खर्च से 41,386 एटीएम को नए नोटों के अनुरूप तैयार कर लिया है. बैंक के मुताबिक अब तक बैंक के 59,521 एटीएम में से 41,386 नकदी निकासी मशीनों को रीकैलिब्रेट कर लिया गया है.


एमएसएमई को दिए जाने वाले लोन में कमी
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अध्ययन में पता चला है कि नोटबंदी से सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को दिये जाने वाले कर्ज में गिरावट आई है. यद्यपि एमएसएमई क्षेत्र को बैंकों और एनबीएफसी द्वारा दिये गये कर्ज सहित सूक्ष्म ऋण में हाल की तिमाहियों में तेजी आई. एमएसएमई क्षेत्र को देश की आर्थिक वृद्धि का एक महत्वपूर्ण इंजन माना जाता है और भारत के कुल निर्यात में इसका योगदान करीब 40 प्रतिशत है.