सरकारी और प्राइवेट बैंकों को ढाई साल में दूसरी बार मिली बड़ी राहत, RBI ने सुनाई खुशखबरी
Reserve Bank of India: केंद्रीय बैंक के डाटा के अनुसार 1 नवंबर तक बैंकों के पास डिपॉजिट 220.43 लाख करोड़ रुपये था. वहीं, क्रेडिट 174.39 लाख करोड़ रुपये पर था. 18 अक्टूबर को खत्म हुए पखवाड़े में भी डिपॉजिट और क्रेडिट ग्रोथ रेट क्रमश: 11.7 प्रतिशत और 11.5 प्रतिशत पर समान रही थी.
Deposit Credit Growth Rate: पिछले कुछ सालों से बैंकों के लिए घटती डिपॉजिट वृद्धि दर चिंता का कारण बनी हुई है. दरअसल, म्युचुअल फंड में बढ़ते निवेश के बीच बैंकों में होने वाली जमा दर पिछले कुछ सालों नीचे आई है. जमा दर में गिरावट को लेकर पिछले दिनों बैंक प्रमुखों की तरफ से चिंता जताई गई थी. इस मामले पर आबीआई गवर्नर ने बैंक प्रमुखों के साथ मीटिंग कर डिपॉजिट रेट बढ़ाने के लिए अपने हिसाब से फैसले लेने के लिए कहा था. इसके बाद बैंकों की कोशिश रंग लाई और लगातार दूसरी बार डिपॉजिट और क्रेडिट ग्रोथ रेट समान रही है.
डिपॉजिट और क्रेडिट ग्रोथ रेट रही बराबर
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार 1 नवंबर को खत्म हुए पखवाड़े में क्रेडिट और डिपॉजिट ग्रोथ रेट दोनों समान रही है. डेटा अनुसार 1 नवंबर तक के पखवाड़े में सालाना आधार पर क्रेडिट ग्रोथ रेट 11.9 प्रतिशत और डिपॉजिट ग्रोथ रेट 11.83 प्रतिशत रही है. केंद्रीय बैंक के डाटा के अनुसार 1 नवंबर तक बैकों के पास डिपॉजिट 220.43 लाख करोड़ रुपये था. वहीं, क्रेडिट 174.39 लाख करोड़ रुपये पर था.
पिछले 30 महीने में दूसरी बार बैंकों के लिए राहत
इससे पहले 18 अक्टूबर को समाप्त हुए पखवाड़े में भी डिपॉजिट और क्रेडिट ग्रोथ रेट क्रमश: 11.7 प्रतिशत और 11.5 प्रतिशत पर समान रही थी. यह बीते 30 महीने में पहली बार था, जब क्रेडिट और डिपॉजिट ग्रोथ करीब बराबर रही थी. डिपॉजिट ग्रोथ से क्रेडिट की विकास दर 25 मार्च, 2022 को समाप्त हुए पखवाड़े से ही अधिक थी. एक समय दोनों के बीच अंतर करीब 7 प्रतिशत तक का हो गया था.
डिपॉजिट और क्रेडिट वृद्धि दर के बीच अंतर कम होने से आरबीआई की तरफ से एनबीएफसी (NBFC) के अनसेफ लोन और लोन पर रिस्क नियंत्रित करने और बैंकों को उधारी व जमा अनुपात (LDR) को कम करने का आदेश था, इससे क्रेडिट ग्रोथ रेट धीमी हुई है. हाई एलडीआर को कम करने के लिए देश के प्राइवेट सेक्टर के सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी बैंक की ओर से क्रेडिट ग्रोथ को कम कर दिया है. इससे कुल क्रेडिट में कमी आएगी.
क्रेडिट ग्रोथ कम होने की एक वजह रेपो रेट का लंबे समय से हाई लेवल पर बने रहना है. फिलहाल रेपो रेट 6.50 प्रतिशत पर बना हुआ है. आरबीआई द्वारा आखिरी बार इसमें बदलाव फरवरी 2023 में किया गया है. आरबीआई की पिछली 10 मौद्रिक नीति कमेटी (MPC) की मीटिंग में रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया.