Artificial Intelligence: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का काफी असर देखने को मिल रहा है. बिजनेस और वर्कप्लेस पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लोगों को काफी खतरा भी महसूस हो रहा है. वहीं अब इस पर एक सर्वे भी सामने आया है. सर्वेक्षण में यह निष्कर्ष निकला है कि जेनएआई की नई लहर व्यवसायों को तेजी से बदल रही है और 60 प्रतिशत भारतीय अधिकारी कार्यस्थल पर इसके प्रभाव को लेकर आशान्वित हैं.


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एआई का असर
जेनएआई की नई लहर में चैटजीपीटी और डैल-ई समेत इस दौर में आईं अन्य प्रौद्योगिकियां भी हैं. वैश्विक स्तर पर सर्वे में शामिल 36 प्रतिशत लोगों का यह भी मानना है कि एआई उनकी नौकरी ले सकता है. बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के सर्वेक्षण के अनुसार, ये विचार वरिष्ठता और देशों के आधार पर अलग-अलग हैं. यह सर्वेक्षण 18 देशों में विभिन्न उद्योगों में अधिकारी वर्ग से लेकर अगली पंक्ति के कर्मचारियों तक 12,800 कर्मियों से बातचीत पर आधारित है.


आशावादी देश
सर्वेक्षण के अनुसार, कार्यस्थल पर जेनएआई के प्रभाव को लेकर सबसे आशावादी देश ब्राजील (71 प्रतिशत) है, जिसके बाद भारत (60 प्रतिशत) और फिर पश्चिम एशिया (58 प्रतिशत) है. इस मामले में सबसे कम आशावादी अमेरिका (46 प्रतिशत), नीदरलैंड (44 प्रतिशत) और जापान (40 प्रतिशत) हैं. एआई को लेकर सबसे ज्यादा चिंतित देशों में नीदरलैंड (42 प्रतिशत), फ्रांस (41 प्रतिशत) और जापान (38 प्रतिशत) हैं, जबकि इस संबंध में सबसे कम चिंतित पश्चिम एशिया (25 प्रतिशत), ब्राजील (19 प्रतिशत) और भारत (14 प्रतिशत) हैं. भारत में 1,000 उत्तरदाताओं में से लगभग 61 प्रतिशत इसको लेकर आशान्वित हैं जबकि 72.8 प्रतिशत मानते हैं कि जेनएआई का परिणाम जोखिम से ज्यादा है.


तेजी से बढ़ रहा आगे
इसके अलावा, लगभग 88 प्रतिशत उत्तरदाता मानते हैं कि एआई से उनके काम में बदलाव आ सकता है और 80 प्रतिशत मानते हैं कि एआई को लेकर नियमन लाना जरूरी है. एआई के वैश्विक जानकार निकोलस डी बेलफोन्ड्स का कहना है कि जेनएआई तेजी से आगे आ रहा है और कार्यस्थलों पर इसके जरिये होने वाला बदलाव पहले ही महसूस होने लगता है. सर्वेक्षण के अनुसार, काम पर एआई के प्रभाव को लेकर 52 प्रतिशत उत्तरदाता आशावादी हैं, जो 2018 में 35 प्रतिशत था. वैश्विक रूप से 36 प्रतिशत उत्तरदाताओं को लगता है कि एआई उनकी नौकरी ले सकता है और 86 प्रतिशत मानते हैं कि उन्हें कौशल विकास करने की जरूरत होगी. (इनपुट: भाषा)


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