Flight Price: अकासा एयर और उसके पायलट्स को लेकर काफी वक्त से विवाद देखने को मिल रहा था. इस विवाद को लेकर अकासा एयर ने डीजीसीए से भी गुहार लगाई थी लेकिन अब डीजीसीए का भी जवाब सामने आ गया है. दरअसल, अब इस विवाद को लेकर DGCA ने किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है. वहीं इससे पहले अकासा एयर ने डीजीसीए पर भी आरोप लगाया था. इससे पहले अकासा एयर ने नियामक नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) पर निष्क्रियता का आरोप लगाया था. जिसके बाद DGCA ने अकासा एयर और उसके पायलटों के बीच विवाद में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया है.


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अकासा एयर


जानकारी के मुताबिक हाल ही में अकासा एयर के कुछ पायलट्स ने अपना नोटिस पीरियड दिए बिना ही नौकरी छोड़ दी. अकासा के 450 पायलटों में से 40 से ज्यादा ने नोटिस पीरियड नहीं दिया. इसके बाद एयरलाइन ने उनमें से कुछ पर केस भी दाखिल कर दिया. इसके बाद अकासा एयर ने पायलट "कदाचार" से निपटने के अनुरोध पर डीजीसीए पर कार्रवाई नहीं करने के लिए अदालत में चुनौती दी थी. वहीं संकट के कारण एयरलाइन ने बंद होने की भी चेतावनी दी है.


हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं


बता दें कि भारत में पायलटों के लिए 6-12 महीने का नोटिस पीरियड देना अनिवार्य है जिसे कुछ पायलट संगठन अदालत में चुनौती दे रहे हैं. इसको लेकर अकासा ने केस भी किया है. वहीं डीजीसीए और विमानन मंत्रालय ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल याचिका को खारिज किए जाने की भी मांग की. उन्होंने कहा कि नियामक इस मामले में हस्तक्षेप करने में असमर्थ है. साथ ही कहा गया कि डीजीसीए रोजगार अनुबंध में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं रखता है.



लगाया ये आरोप


वहीं अकासा ने डीजीसीए पर कोई भी कार्रवाई करने में अनिच्छुक होने का आरोप लगाया है. साथ ही कहा है कि इसके कारण एयरलाइन को वित्तीय और परिचालन संबंधी कठिनाई हुई है. अकासा ने बताया कि पायलट के इस्तीफे के कारण अगस्त में 632 उड़ानें रद्द की गईं, जो एयरलाइन आमतौर पर एक महीने में संचालित होने वाली लगभग 3,500 उड़ानों का अनुमानित 18% है.


अकासा की याचिका


वहीं 6,000 सदस्यीय फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स ने भी अकासा की याचिका पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि उड़ान रद्द करने की संख्या अप्रमाणित थी और डीजीसीए इस विवाद में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है. इसके साथ ही महासंघ ने कहा कि पायलटों का कथित सामूहिक इस्तीफा, कर्मचारी असंतोष का संकेत भी है.