Anil Ambani Reliance Capital Deal: एशिया के सबसे अमीर उद्योगपति मुकेश अंबानी के छोटे भाई अनिल अंबानी की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही है. अपनी गलतियों और कर्ज के भारी बोझ के चलते दिवालिया प्रक्रिया से उनकी कंपनी गुजर रही है. अनिल अंबानी ने खुद को दिवालिया करार दिया है. जैसे-तैसे कर्ज में डूबी उनकी कंपनी रिलायंस कैपिटल को एक खरीदार मिला, लेकिन इस डील में भी एक के बाद एक अडंगा लगा रहा है. 


फिर से अटकी अनिल अंबानी की डील  


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अनिल अंबानी की रिलायंस कैपिटल खरीदने में हिंदुजा ग्रुप के पसीने छूट रहे हैं. कंपनी पैसों का इंतजाम नहीं कर पा रही है. बैंकों ने लोग देने से इनकार कर दिया. अब कंपनी बॉन्ड के जरिए फंड जुटाने की कोशिश कर रही है, लेकिन अब इसमें भी पेंच फंस गया है. दरअसल हिंदुजा समूह की कंपनी IIHL ने रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए सबसे बड़ी बोली लगाई थी, लेकिन, बैंकों ने इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्‍स यानी IIHL को लोन देने से मना कर दिया.  पैसों का इंतजाम नहीं हो पाने के चलते हिंदुजा समूह एक्सटेंशन चाहती है. इसके लिए कंपनी ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ( NCLT) के सामने टाइम एक्टेंशन की मांग रखी हैं.  


फंसता ही जा रहा है रिलायंस कैपिटल के बिक्री का मामला 


रिलायंस कैपिटल (RCap) के कर्जदाताओं ने NCLT के सामने हलफनामा दायर किया है. जिसमें उन्होंने हिंदुजा समबह की स्वामित्व वाली कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड की ओर से समाधान योजना के लिए 90 दिनों के विस्तार की मांग का विरोध किया है. दरअसल IIHL रिलायंस कैपिटल के अधिग्रहण की डेडलाइन से चूक गई है. 27 मई की डेडलाइन खत्म हो चुकी है. ऐसे में कंपनी ने 90 और दिनों का एक्सटेंशन मांगा है, लेकिन रिलायंस कैपिटल के कर्जदाताओं ने इसके लिए शर्त रख दी है. 


क्या है रिलायंस कैपिटल के कर्जदाताओं की मांग 


रिलायंस कैपिटल के कर्जदाताओं ने मांग ही कि हिदुंजा समूह पहले  एस्क्रो खाते में 2,750 करोड़ रुपये जमा करें और बोली के 9,660 करोड़ पर 12 फीसदी का ब्याज दें.  कर्जदाताओं ने कहा है कि इसी शर्त पर हिंदुजा ग्रुप को रिलायंस कैपिटल के अधिग्रहण के लिए 90 दिन की मोहलत दी जाए.  बता दें कि रिलायंस कैपिटल पर 40,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है. कंपनी के दिवालिया पक्रिया के दौरान चार कंपनियों ने इसके लिए बोली लगाई थी, लेकिन 9650 करोड़ की सबसे ऊंची बोली लगाकर IIHL ने इसे जीत लिया.