अनिल अंबानी की रिलायंस कैपिटल पर बड़ा अपडेट, टेकओवर के लिए DPIIT से मिली मंजूरी
Hinduja Group: अधिग्रहण पूरा करने के लिए डीपीआईआईटी (DPIIT) की मंजूरी इसलिए जरूरी थी क्योंकि इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (IIHL) के कुछ शेयरहोल्डर हांगकांग के रहने वाले हैं, जो चीन की तरफ से नियंत्रित एक विशेष प्रशासनिक क्षेत्र है.
Reliance Capital Takeover: उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) ने कर्ज में डूबी हुई रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) को टेकओवर करने के लिए हिंदुजा ग्रुप की कंपनी आईआईएचएल (IIHL) को मंजूरी दे दी है. पिछले साल, रिलायंस कैपिटल के लेनदारों ने इंडसइंड के द्वारा 10,000 करोड़ रुपये में ऋणदाता के अधिग्रहण को मंजूरी दे दी थी. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से दिसंबर 2021 में कंपनी पर दिवालिया प्रक्रिया शुरू की गई थी. अधिग्रहण को पूरा करने के लिए डीपीआईआईटी (DPIIT) की मंजूरी इसलिए जरूरी थी क्योंकि इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (IIHL) के कुछ शेयरहोल्डर हांगकांग के रहने वाले हैं, जो चीन की तरफ से नियंत्रित एक विशेष प्रशासनिक क्षेत्र है.
सरकारी अनुमोदन मार्ग के माध्यम से निवेश करना जरूरी
प्रेस नोट के अनुसार, यदि भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले किसी देश (चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यांमार और अफगानिस्तान) की कोई इकाई, या ऐसे किसी देश का नागरिक या स्थायी निवासी भारत में निवेश का लाभकारी स्वामी है, तो उनके लिए सरकारी अनुमोदन मार्ग के माध्यम से निवेश करना आवश्यक है. सूत्रों के अनुसार, डीपीआईआईटी से हरी झंडी मिलने से मॉरीशस स्थित आईआईएचएल (IIHL) की तरफ से प्रस्तुत समाधान योजना को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी, जो लोन में डूबी फाइनेंशियल फर्म के लिए 9,861 करोड़ रुपये की बोली के साथ सफल बोलीदाता के रूप में उभरी है.
राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (NCLT) की मुंबई पीठ ने 27 फरवरी, 2024 को आईआईएचएल (IIHL) की समाधान योजना को मंजूरी दी थी. डीपीआईआईटी (DPIIT) की मंजूरी उस समाधान योजना का हिस्सा थी, जिस पर मतदान हुआ और ऋणदाताओं की समिति (COC) के 99.96 प्रतिशत सदस्यों ने इसे मंजूरी दी. यह मंजूरी इसलिए महत्वपूर्ण थी, क्योंकि हिंदुजा समूह को 31 जनवरी, 2025 की विस्तारित समयसीमा तक सौदा पूरा करना था.
समयसीमा पूरी नहीं होने पर समूह को सौदे के लिए एचएनआई (अमीर व्यक्तियों), अल्ट्रा-एचएनआई (बहुत अमीर व्यक्तियों) और पारिवारिक कार्यालयों से जुटाई गई 3,000 करोड़ रुपए की राशि वापस करनी होगी. नवंबर 2021 में, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अनिल धीरूभाई अंबानी समूह की कंपनी द्वारा शासन संबंधी मुद्दों और भुगतान चूक के कारण रिलायंस कैपिटल के निदेशक मंडल को भंग कर दिया था. (इनपुट भाषा से)