Byju`s पर भारी ये गलती, कभी ₹18,37,59,29,00,000 की कंपनी, आज जीरो हुई वैल्यू
कभी भारतीय स्टार्टअप सेक्टर का पोस्टर ब्वॉय एडुटेक कंपनी बायजू की मुश्किल कम होने का नाम नहीं रही है.
Byju's Crisis: कभी भारतीय स्टार्टअप सेक्टर का पोस्टर ब्वॉय एडुटेक कंपनी बायजू की मुश्किल कम होने का नाम नहीं रही है. कर्ज के जंजाल में फंसकर एडुटेक कंपनी बर्बाद हो चुकी है. कोरोना काल में ऑनलाइन एजुकेशन के दम पर कंपनी का डंका इस कदर बजा कि देखते ही देखते बाजयू देश की सबसे वैल्यूएबल स्टार्टअप कंपनी बन गई. कंपनी की वैल्यूएशन 22 अरब डॉलर यानी करीब ₹18,37,59,29,00,000 हो गई. साल 2022 में कंपनी देश की सबस वैल्यूएबल स्टार्टअप बन गई, लेकिन बायजू की एक गलती उसपर भारी पड़ गई.
22 अरब वाली कंपनी की वैल्यू हुई जीरो
एक वक्त था जब टीम इंडिया की जर्सी पर बायजू का लोगो रहता था. शाहरुख खान बायजू का विज्ञापन करते थे, लेकिन आज कंपनी की वैल्यू जीरो हो चुकी है. फाइनेंशियल फर्म HSBC ने अपीन रिपोर्ट में Byju's का वैल्यूएशन जीरो कर दिया है. HSBC Byju's में इन्वेस्ट कर चुकी है. जो कंपनी एक समय पर 22 अरब डॉलर की हुआ करती थी, वो अब जीरो पर आ गई है. बता दें कि एचएसबीसी ने बायजू में अपने निवेश लगभग 10 प्रतिशत हिस्सेदारी (लगभग 500 मिलियन डॉलर) के मूल्य को शून्य कर दिया है.
बाजयू पर भारी पड़ी ये गलती
साल 2015 में बायजू रविंद्रन ने बायजू ऐप लॉन्च किया. ऑनलाइन कोर्स की तैयारी, ट्यूशन ने पढ़ाई के तरीके को बदल दिया. कोरोना और लॉकडाउन के वक्त जब सारे स्कूल-कॉलेज, कोचिंग बंद हो गए बायजू का बिजनेस दिन दुनी रात चौगुनी बढ़ने लगा. कंपनी जल्द ही 22 अरब डॉलर की वैल्यूएशन हासिल कर ली. कंपनी ने इसके बाद आकाश इंस्टीट्यूट, आई रोबोट ट्यूटर, हैशलर्न, व्हाइट जूनियर और टॉपर जैसी कई कपंनियों का अधिग्रहण करना शुरू कर दिया. कर्ज लेकर बायजू ने इन कंपनियों को खरीदना शुरू किया. बायजू ने 1.2 बिलियन डॉलर का कर्ज तक ले लिया. कर्ज का लोड बढ़ता चला गया. बायजू ने काफी निवेश बढ़ा लिया था. देस के अलग-अलग हिस्से में कोचिंग सेंटर, बायजू ऑफिस खुलने लगे. सबसे बड़ी मुश्किल तो तब शुरू हुई जब कोरोना और लॉकडाउन खत्म हुआ. स्कूल-कॉलेज के खुलते ही बाजयू का बिजनेस घटने लगा. लॉकडाउन खत्म होने के बाद ऑनलाइन कोचिंग को लेकर छात्रों की रूचि कम होने लगी. इससे बायजू के कारोबार को बड़ा धक्का लगा. छात्रों की घटती संख्या और बढ़ते कर्ज ने कंपनी की मुश्किल बढ़ दी. एक वक्त आया जब कंपनी की मासिक आय 30 करोड़ रही जबकि खर्च 150 करोड़ रुपये था. कंपनी लोन चुकाने में विफल होती चली गई.