Cryptocurrency: क्रिप्टो से जुड़े मुद्दों से कैसे निपटा जाएगा? G20 रूपरेखा पर सामने आई ये बात
Cryptocurrency Price: क्रिप्टो को लेकर अलग-अलग देशों की अलग-अलग राय है. वहीं क्रिप्टो से जुड़े कई मुद्दे भी हैं. हालांकि अब जी20 रूपरेखा के त्वरित और समन्वित कार्यान्वयन का आह्वान किया गया है. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से...
Crypto: जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों ने क्रिप्टो परिसंपत्तियों से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए जी20 रूपरेखा के त्वरित और समन्वित कार्यान्वयन का आह्वान किया है. जी-20 के वित्त मंत्रियों ने गुरुवार को क्रिप्टो परिसंपत्तियों पर जी-20 रूपरेखा को अपनाने की बात कही. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी) के जरिए संयुक्त रूप से तैयार एक पत्र में क्रिप्टो संबंधित जी-20 रूपरेखा का जिक्र किया गया. मोरक्को के मराकेश में आयोजित मुद्राकोष-विश्व बैंक की वार्षिक बैठक के दौरान जी-20 समूह के वित्त मंत्रियों एवं केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों की भारत की अध्यक्षता में हुई चौथी एवं अंतिम बैठक में यह फैसला किया गया.
क्रिप्टो
इस दौरान क्रिप्टो से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए सर्वसम्मति से जी-20 रूपरेखा को अपनाया गया. जी-20 एफएमसीबीजी (वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर) की चौथी बैठक के दौरान जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘हम पत्र (सिंथेसिस पेपर) में प्रस्तावित रूपरेखा को क्रिप्टो परिसंपत्तियों पर जी-20 रूपरेखा के रूप में अपनाते हैं... हम नीतिगत ढांचे के कार्यान्वयन सहित जी-20 रूपरेखा के त्वरित और समन्वित कार्यान्वयन का आह्वान करते हैं.’’
महत्वपूर्ण कदम की सराहना
न्यासों और अन्य कानूनी व्यवस्थाओं पर मार्गदर्शन को अंतिम रूप देने में वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के जरिए उठाए गए महत्वपूर्ण कदम की सराहना करते हुए विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘हम लाभकारी स्वामित्व पारदर्शिता पर संबंधित संशोधित मानक को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’’ वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर की विज्ञप्ति को जी-20 नई दिल्ली घोषणा पत्र (एनडीएलडी) से मार्गदर्शन मिला और पिछले महीने शिखर सम्मेलन में बनी सहमति से काफी फायदा हुआ.
कच्चे तेल को लेकर चिंताएं
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टो परिसंपत्तियों पर जी-20 रूपरेखा को एक विस्तृत एवं कार्य-उन्मुख रूपरेखा बताते हुए कहा कि इससे वैश्विक नीति में समन्वय के साथ रणनीतियां एवं नियम तय करने में मदद मिलेगी. इस विज्ञप्ति में इजराइल-हमास संघर्ष का कोई उल्लेख न होने पर कहा कि इस मुद्दे पर अधिक चर्चा न होने से इसे जगह नहीं दी जा सकी. हालांकि सीतारमण ने यह माना कि पश्चिम एशिया में छिड़े इस संघर्ष से कच्चे तेल को लेकर चिंताएं फिर से पैदा हो गई हैं. उन्होंने कहा, "शांति को लेकर चिंताएं एवं अनिश्चितताएं हैं. ईंधन से खाद्य सुरक्षा और आपूर्ति शृंखला में गतिरोध की चिंताएं हैं." (इनपुट: भाषा)