नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने 500 और 1000 रुपये के बंद नोटों को जमा कराने के लिए एक और अवसर देने की संभावना से इनकार किया है तथा सरकार अब कह रही है कि उसे उम्मीद थी कि बंद किए गए पूरे नोट बैंकों में पास आ जाएंगे जो रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुरूप है. रिजर्व बैंक ने की बुधवार (30 अगस्त) को जारी वार्षिक रपट के अनुसार कुल 15.44 लाख करोड़ रुपये के पुराने 500 और 1000 रुपए के नोटों में 99 प्रतिशत नोट बैंकों में वापस आ गए हैं. इस बीच कुछ लोगों ने सरकार से उनके पास बचे रह गए 500 और 1000 के सीमित संख्या में नोटों को जमा कराने के लिए एक और अवसर देने की मांग की है.


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आर्थिक मामलों के सचिव एस सी गर्ग ने कहा, ‘‘फिलहाल इसकी कोई संभावना नहीं है.’’ उनसे पूछा गया था कि क्या लोगों को अपने पास बचे रहे गए बंद नोटों को जमा कराने का दूसरा अवसर मिलेगा. रिजर्व बैंक के बयान के बाद मंत्रालय ने बुधवार (30 अगस्त) को कहा था कि सरकार को उम्मीद थी कि सारे बंद नोट बैंकिंग प्रणाली में वापस आ जाएंगे. हालांकि तत्कालीन अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने पिछले साल दिसंबर में उच्चतम न्यायालय में कहा था कि सरकार को उम्मीद है कि बंद नोटों में से सिर्फ10-11 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकिंग प्रणाली में लौटेंगे.


राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने सात दिसंबर को ट्वीट किया था, ‘हम यह भविष्यवाणी नहीं करते हैं कि सरकार उम्मीद करती है कि नोटबंदी का सारा पैसा प्रणाली में वापस आ जाएगा.’’ गर्ग ने कहा कि ज्यादातर परिवारों के पास ऊंचे मूल्य के नोट थे जिनका इस्तेमाल वे नोटबंदी से पहले भुगतान करने के लिए करते थे.'


उन्होंने कहा कि इस बात की स्पष्ट उम्मीद थी कि इसमें से ज्यादातर पैसा वापस आ जाएगा. लोग इसके बारे में अलग-अलग अनुमान लगा रहे थे. लेकिन केंद्र ने कभी यह नहीं कहा था कि इसमें से कुछ बंद नोट वापस नहीं लौटेंगे. उच्चतम न्यायालय में अटॉर्नी जनरल के बयान पर उन्होंने कहा कि यह एक राय थी.


रिजर्व बैंक द्वारा 2016-17 के लिए आधे से कम लाभांश भुगतान पर गर्ग ने कहा, ‘‘बजट में हमने 58,000 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया था. रिजर्व बैंक ने 44,000 करोड़ रुपये के अधिशेष का अनुमान लगाया था. रिजर्व बैंक ने सरकार को 30,000 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए हैं. हम केंद्रीय बैंक से इस बात पर विचार विमर्श कर रहे हैं कि क्या और स्थानांतरण की गुंजाइश है क्योंकि बजट अनुमान 58,000 करोड़ रुपये था.’’