नई दिल्ली: अब चेक बाउंस के मामले में चेक जारी करने वाला बड़ी परेशानी में फंस सकता है. चेक बाउंस होने की स्थिति में प्राप्तकर्ता को और अधिक राहत प्रदान करने वाला ‘परक्राम्य लिखत (संशोधन) विधेयक, 2017 (नेगोशियेबिल इंस्ट्रूमेंट अमेंडमेंट बिल) मंगलवार (24 जुलाई को) लोकसभा में ध्वनिमत से पारित हो गया. विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि समय-समय पर संबंधित कानून में संशोधन होता रहा है और जरूरत पड़ने पर आगे भी होगा.


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20 फीसदी रकम अदालत में जमा करानी होगी
मंत्री ने कहा कि इस संशोधन विधेयक में प्रावधान किया गया है कि चेक बाउंस होने की स्थिति में आरोपी की तरफ से पहले ही चेक पर अंकित राशि की 20 फीसदी रकम अदालत में जमा करानी होगी. अगर निचली अदालत में फैसला आरोपी के खिलाफ आता है और वह ऊपरी अदालत में अपील करता है तो उसे फिर से कुल राशि की 20 फीसदी रकम अदालत में जमा करानी होगी. मंत्री ने उम्मीद जताई कि इस प्रावधान की वजह से चेक बाउंस के मामलों पर अंकुश लगेगा और अदालतों पर चेक बाउंस के मुकदमों का बोझ कम होगा.


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चेक बाउंस के 16 लाख केस
शुक्ल ने सदन को बताया कि मौजूदा समय में देश भर की निचली अदालतों में चेक बाउंस के करीब 16 लाख मुकदमें चल रहे हैं. इससे पहले विधेयक पेश करते हुए मंत्री ने कहा था कि चेक प्राप्तकर्ता को राहत देने के उद्देश्य से इस विधेयक में पर्याप्त उपाय किए गए हैं. इससे चेक की विश्वसनीयता और बढ़ेगी. सदन ने ध्वनि मत से इस विधेयक को पारित किया.