मुंबई: मुख्य आर्थिक सलाहकार (चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर) कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने बुधवार को कहा कि गैर-बैंकिंग कंपनियों के समक्ष जो समस्यायें है उनकी जड़ में उनकी कर्ज चुकाने की क्षमता का अहम मुद्दा है. अर्थव्यवस्था में कुर्ल कर्ज में पांचवां हिस्सा रखने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां अगस्त 2018 से ही चुनौतियों का सामना कर रही हैं.


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डन एंड ब्रॉडस्ट्रीट पुरस्कार समारोह के दौरान अलग से बातचीत में सुब्रमण्यम ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘नकदी की समस्या के रूप में जो चीजें आ रही हैं, वह कर्ज चुकाने की क्षमता से जुड़ी हैं.’’ उन्होंने कहा कि समस्या का निचोड़ संपत्ति देनदारी का अंतर है. कर्ज देने वाले संस्थानों ने दीर्घकालीन संपत्ति सृजित करने के लिये अल्पकाल के लिये कर्ज लिये.


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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में नई सरकार के कार्यकाल के बारे में सु्ब्रमणियम ने कहा कि जोर अब 4L (लैंड, लेवर, लोन और लॉ)पर होगा. उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि निजी क्षेत्र प्रतिस्पर्धी (कॉम्पिटिटिव) हों, खासकर उत्पादन के साधन, भूमि, श्रम और पूंजी.’’ उन्होंने कहा कि इससे अर्थव्यवस्था में कुछ कर गुजरने की भावना बढ़ाने में मदद मिल सकती है.