ऋषि सुनक के एक ऐलान से बढ़ न जाए भारत की टेंशन, लटक सकती है ब्रिटेन संग यह डील, जानिए भारत के लिए क्यों जरूरी FTA ?
Advertisement
trendingNow12267798

ऋषि सुनक के एक ऐलान से बढ़ न जाए भारत की टेंशन, लटक सकती है ब्रिटेन संग यह डील, जानिए भारत के लिए क्यों जरूरी FTA ?

 India Britain FTA: कैडबरी की चॉकलेट हो या स्कॉटलैंड की स्कॉच व्हिस्की, चाहे लंदन का फैशन ब्रांड हो या फिर दवाईयां...पलके बिछाए हम इंतजार कर रहे थे कि कब इनके पैकेट और बोतलों पर लगे प्राइस टैग पॉकेट फ्रेंडली हो जाएंगे. उम्मीद थी कि जल्द ही ये सस्ती हो जाएंगी.

Modi Sunak

India UK FTA: कैडबरी की चॉकलेट हो या स्कॉटलैंड की स्कॉच व्हिस्की, लंदन का फैशन ब्रांड हो या फिर इंग्लिश मेकअप ब्रांड...पलके बिछाए हम इंतजार कर रहे हैं कि कब इनके पैकेट और बोतलों पर लगे प्राइस टैग पॉकेट फ्रेंडली हो जाएंगे. उम्मीद थी कि जल्द ही ये चीजें सस्ती हो जाएंगी. अगर भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट हो जाता तो स्कॉटलैंड की स्कॉच से लेकर कैडबरी की चॉकलेट भारत में काफी कम कीमत पर मिलने लगती. लेकिन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के एक ऐलान ने भारत के लोगों की इस उम्मीद पर पानी फेर दिया है. ब्रिटेन में आम चुनाव होने को वक्त से पहले करवाने के ऋषि सुनक के एक ऐलान ने भारत और ब्रिटेन के बीच होने वाले फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (India-UK Free Trade Agreement) पर संशय की तलवार लटका दी है. भले ही राजनीतिक विश्लेषकों और रणनीतिकारों ये दावा कर रहे हो कि सरकार बदलने से द्विपक्षीय संबंध में बदलाव नहीं होगा, लेकिन सच तो ये है कि सत्ता परिवर्तन के साथ ही देशों के रिश्ते भी बदल जाते हैं. 

ऋषि सुनक के ऐलान से भारत-ब्रिटेन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर संकट  

बीते हफ्ते से ऋषि सुनक ने ब्रिटेन में चुनाव का ऐलान कर दिया. जो इलेक्शन दिसंबर में होने वाले थे ऋषि सुनक ने उसे 4 जुलाई 2024 को करवाने का फैसला किया. इस फैसले का असर भारत और ब्रिटेन के बीच होने वाले फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर पड़ सकता है. अक्टूबर 2022 में जब भारतीय मूल के ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने दोनों देशों के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर बातचीत ने जोर पकड़ लिया. वहीं अब वक्त से पहले चुनाव के फैसले से भारत और ब्रिटेन के बीच FTA लटकता नजर आ रहा है. 

क्यों जरूरी है फ्री ट्रेड एग्रीमेंट 

फ्री ट्रेड एग्रीमेंट  यानी FTA का मतलब है दो देशों के बीच मुक्त व्यापार. एफटीए का मकसद दो देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना और उसे आसान बनाना होता है. इस समझौते के तहत दो देशों के बीच आयात और निर्यात में आने वाले वाली मुश्किलों को दूर कर इसे आसान बनाना है. इसके लिए कस्टम ड्यूटी कम करने से लेकर उसे पूरी तहत हटाने जैसे अहम फैसले लिए जाते है. आयात-निर्यात के नियमों को आसान कर दिया जाता है. दो देशों के बीच वीजा नीतियों को सरल करने से लेकर स्टूडेंट, जॉब को सरल किया जाता है. भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से दोनों देशों के बीच न केवल कारोबार आसान हो जाएगा, बल्कि दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होंगे.  

ऋषि सुनक के फैसले से अटक गई बात 

भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए समझौते की उम्मीद ऋषि सुनक के पीएम बनने के साथ बढ़ गई. दोनों देशों के बीच कारोबारी रिश्ते सुधरने लगे. लेकिन उनके पीएम रहने तक यह डील फाइनल नहीं हो सकी है. सुनक भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के समर्थक है, लेकिन सत्ता संभालने के करीब दो साल बीत जाने के बाद भी वो फ्री ट्रेड डील को फाइनल तक नहीं पहुंचा सके. इस डील को लेकर भारत और ब्रिटेन के बीच 14 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन दोनों दी देशों में चुनाव के चलते मामला ठंडा पड़ता जा रहा है. 

भारत-यूके के बीच कितना बड़ा कारोबार 

भारत और ब्रिटेन के बीच वर्तमान में 38.1 अरब पाउंड का कारोबार हो रहा है.  कारोबार के हिसाब से भारत ब्रिटेन का 12वां सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर रहा है. दोनों देशों के बीच साल 2022-23 में 20.42 अरब डॉलर का कारोबार हुआ. वित्त वर्ष  2021-22 में 17.5 अरब डॉलर, वित्त वर्ष 2020-21 में करीब 1 लाख 12 हजार करोड़ का कारोबार हुआ. दोनों देशों ने FTA के तहत साल 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा.  FTA डील के तहत बारत कई चीजों के निर्यात पर जीरो टैक्स चाहता है तो वहीं ब्रिटेन, स्कॉच व्हिस्की, इलेक्ट्रिक वाहन, भेड़ के मांस, चॉकलेट, कन्फेक्शनरी आइटम्स पर इंपोर्ट ड्यूटी में भारी कटौती की मांग कर रहा है.    

भारत के लिए क्यों जरूरी है ब्रिटेन के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट 

फ्री ट्रेंड एग्रीमेंट से किसी भी देश में निवेश की संभावनाएं बढ़ जाती है. निर्यात को बढ़ावा मिलता है. नौकरी के विकल्प बढ़ते हैं. ब्रिटेन के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से भारत में आर्थिक विकास और रोजगार के मौके को बढ़ावा मिलेगा. अभी ब्रिटेन के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार भारत के पक्ष में झुका है. हालांकि ये अंतर बहुत कम है. अगर फ्री ट्रेड एग्रीमेंट हो जाता है तो भारत आयात-निर्यात के इस अंतर को बढ़ा सकता है. भारत, ब्रिटेन के लिए बड़ा निर्यातक देश बन सकता है. 

ब्रिटेन का कितना फायदा 

ऐसा नहीं है कि फायदा किसी एक देश को होता है. इस डील के ब्रिटेन को भी उतना ही अवसर मिलेगा. ब्रिटने के लिए भारत एक बड़ा बाजार बन सकता है. वो भारत में अपनी प्रीमियम कारों, व्हिस्की और कानूनी सेवाओं को आसानी से बेच सकेगा. साल 2020 में यूरोपीय यूनियन से बाहर होने के बाद ब्रिटेन को वैश्विक व्यापार के लिए नए साझेदारों की तलाश रहती है. ऐसे में भारत एक बड़ा और अच्छा विकल्प है.  

Trending news