नई दिल्ली : सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के लिए कोयला ब्लाकों के आवंटन और कोयले का अंतिम उपयोग करने वाली विशिष्ट इकाइयों को ब्लाकों की नीलामी करने के पश्चात ही निजी क्षेत्र की कंपनियों को कोयले के वाणिज्यिक खनन की अनुमति देगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज यह बात कही।


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वित्त मंत्री ने कहा, पहले आपको इसे राज्यों व केंद्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों को देना है। इसके बाद आपको वास्तविक रप से कोयले का इस्तेमाल करने वाली सभी इकाइयों का एक पूल बनाना और नीलामी करना है। जेटली ने यहां पीटीआई-भाषा मुख्यालय में इस एजेंसी के संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा, इसके बाद, कोल इंडिया के चरित्र का संरक्षण करते हुए और उसके साथ छेड़छाड़ किए बिना, आप अतिरिक्त संसाधनों (कोयला स्रोतों) के वाणिज्यिक खनन की अनुमति देने की संभावनाओं को तलाश सकते हैं।


सरकार ने पिछले महीने 204 कोयला ब्लॉकों के आवंटन के लिए अध्यादेश जारी किया था। इनका आवंटन उच्चतम न्यायालय ने सितंबर में रद्द कर दिया था। अध्यादेश में निजी कंपनियों द्वारा कोयले के वाणिज्यिक खनन की अनुमति देने का प्रावधान शामिल किया गया है। इनमें 74 ब्लाक की पहली खेप की अंतिम इस्तेमालकर्ताओं को नीलामी और सरकारी कंपनियों को आवंटन मार्च तक कर दिया जाएगा। निजी क्षेत्र की कंपनियों को व्यावसायिक खनन की अनुमति देने से कोयला उत्पादन बढ़ाने में मदद मिल सकती है। इस समय देश के कोयला उत्पादन में 80 फीसद योगदान सरकारी कंपनी कोल इंडिया का है। यह पिछले चार साल से उत्पादन लक्ष्य हासिल नहीं कर सकी है।


वित्त मंत्री जेटली ने हालांकि यह नहीं बताया कि निजी क्षेत्र की कंपनियों को वाणिज्यिक खनन की छूट कब तक दी जा सकती है। जेटली ने कहा, मैं खुद को समय से नहीं बांध रहा हूं। लेकिन अध्यादेश तर्कसंगत है। उन्होंने कहा कि कोयला ब्लाक आवंटन घोटाले की वजह से देश को सात वर्ष का बहुमूल्य समय गंवाना पड़ा। साथ ही देश की विश्वसनीयता भी बहुत घट गयी और इससे निवेश का वातावरण प्रभावित हुआ है।


उन्होंने कहा, इसका शुद्ध लाभ यह हुआ है कि हमने एक डाक्टर के आपरेशन की तरह अपने भविष्य के लिए समाधान ढूंढ लिया है। इसमें यह तय कर दिया गया है कि प्राकृतिक संसाधनों का आवंटन कैसे किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पारदर्शी तरीके से कोयला ब्लाकों की नीलामी व आवंटन से कोयला उत्खनन शुरू हो सकेगा और वास्तविक इस्तेमालकर्ताओं को ईंधन मिल सकेगा और कोयले का आयात नहीं करना पड़ेगा और न ही इससे चालू खाते पर भी बोझ पड़ेगा। जेटली ने कहा, यह एक बहुत ही सुव्यवस्थित अध्यादेश है। वित्त मंत्री ने कहा कि अध्यादेश को कानून में बदलने संबंधी विधेयक सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में लाया जाएगा।