India Diesel Export: काला सोना कहे जाने वाले तेल के न‍िर्यात में भारत को चीन और साउथ कोर‍िया से जबरदस्‍त चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. इससे तेल के न‍िर्यात के मामले में देश की बादशाहत खतरे में है. फरवरी के मुकाबले मार्च के महीने में देश से क‍िये जाने वाले में 63 प्रत‍िशत की बड़ी ग‍िरावट देखी गई है. चीन और साउथ कोर‍िया से कंप्‍टीशन के बीच एक्‍सपोर्ट से कंपन‍ियों को होने वाले फायदे में ग‍िरावट आई है. इसका असर भारतीय र‍िफाइनर‍ियों के प्राफ‍िट पर देखा जा रहा है. आपको बता दें भारतीय रिफाइनर‍ियों ने फरवरी 2024 में रोजाना करीब 163,000 बैरल तेल का न‍िर्यात क‍िया. लेक‍िन अगले ही महीने मार्च में यह ग‍िरकर 61,000 बैरल प्रतिदिन पर आ गया.


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अमेरिका को तेल का निर्यात नहीं क‍िया गया


दूसरी तरफ यूरोप को क‍िया जाने वाला डीजल एक्‍सपोर्ट 6.5 प्रत‍िशत के उछाल के साथ 214,000 बैरल पर पहुंच गया. ध्‍यान देने वाली बात यह है क‍ि इस दौरान अमेरिका को तेल का क‍िसी तरह का निर्यात नहीं किया गया. आपको बता दें एशिया में साउथ कोर‍िया और चीन के पास अच्‍छी मात्रा में तेल का स्‍टॉक है. दोनों देशों से न‍िर्यात होने के कारण भारतीय कंपन‍ियों के मार्ज‍िन में ग‍िरावट आ रही है. इसके अलावा यूरोप में रिफाइनर‍ियों की मेंटीनेंस के कारण वहां पर ज्‍यादा आयात क‍िया गया. एशिया में भारत की तरफ से क‍िये जाने वाले तेल न‍िर्यात की मात्रा में घट-बढ़ होने से कंपन‍ियों के फायदे में उतार-चढ़ाव आता है.


हूत‍ियों के हमले के बाद न‍िर्यात तेजी से नीचे आया
साल 2023 में तेल का न‍िर्यात अप्रैल 2023 में 11,000 बैरल से लेकर अगस्त में 189,000 बैरल तक पहुंच गया. 2023-24 में एशिया में एवरेज मंथली डीजल शिपमेंट 92,000 बैरल रहा. इसके उलट इस दौरान यूरोप को डीजल की आपूर्ति करीब 222000 बैरल रही. प‍िछले द‍िनों लाल सागर में तनाव के कारण वैश्‍व‍िक शिपिंग मार्गों में परेशानी आने से भारत के र‍िफाइन प्रोडक्‍ट एक्‍सपोर्ट पर असर डाला है. जनवरी में लाल सागर में हूत‍ियों के हमले के बाद न‍िर्यात तेजी से नीचे आया और यह ग‍िरकर 56,000 बैरल तक रह गया.


इसके बाद जहाजों को स्वेज नहर को बायपास कर केप ऑफ गुड होप के जर‍िये लंबे मार्ग का विकल्प चुनने के लिए मजबूर होना पड़ा. हालांक‍ि इसके बाद फरवरी में निर्यात में तेजी से उछाल आया. जनवरी में यूरोप के लिए भेजे जाने वाले शिपमेंट को एशिया की तरफ मोड़ दिया गया. इसके बाद यूरोप को आपूर्ति में कमी आई और एशिया में मांग में तेजी देखी गई. जनवरी में यूरोप को रिफाइन प्रोडक्‍ट की आपूर्ति घटकर 141,000 बीपीडी रह गई. एशिया में यह मात्रा बढ़कर 382 बीपीडी हो गई. कुल मिलाकर, एशिया में भारत का र‍िफाइन प्रोडक्‍ट का एक्‍सपोर्ट मार्च में 15% गिरकर 332,000 बीपीडी हो गया, जबकि यूरोप में निर्यात 4.5% गिरकर 319,000 बीपीडी हो गया.