Consumer Ministry  plan to control onion prices: देश में अब लोगों को प्याज की महंगाई करने की चिंता नहीं होगी. केंद्र सरकार ने  इस वित्तीय वर्ष यानी 2022-23 में प्याज की भरपूर सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए ढाई लाख टन प्याज का स्टॉक रिजर्व बनाया है. इतनी बड़ी मात्रा में प्याज (Onion) स्टॉक करने का यह अब तक का रिकॉर्ड है. इस प्याज को त्योहारी दिनों या कमजोर मौसम के दौरान बाजार में रिलीज किया जाएगा, जिससे लोगों को प्याज खरीदने में कोई दिक्कत न हो. 


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उपभोक्ता मंत्रालय ने बनाया प्याज का बफर स्टॉक


मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अगस्त से लेकर दिसंबर तक प्याज (Onion) का उत्पादन कमजोर रह सकता है. ऐसे में देश में प्याज की सप्लाई सुचारू बनाए रखने में यह रिजर्व स्टॉक काफी काम आ सकता है. सरकार ने कदम तब उठाया है, जब में महंगाई दर 7 प्रतिशत से ऊपर चल रही है. ऐसे में सब्जियों के बढ़ते दाम को स्थिर करने और कीमतों को काबू में रखने में यह उपाय काफी काम आ सकता है. केंद्र सरकार का उपभोक्ता मंत्रालय प्याज के इस बफर स्टॉक का इंतजाम कर रहा है. 


रिपोर्ट के मुताबिक कुछ सब्जियां ऐसी हैं, जो हर घर में रोजाना खाई जाती हैं. इनमें से प्याज भी एक है. ऐसे में अगर प्याज जैसी जरूरी चीजों के दाम में बढ़ोतरी होती है तो किसी भी घर का बजट बिगड़ जाता है. अगर कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स की बात करें तो प्रत्येक अपने कुल खर्च का करीब 6 प्रतिशत हिस्सा सब्जियों की खरीद पर खर्च करता है. 


मानसून में नहीं होगी प्याज की कमी


मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा कि उसने गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे प्याज (Onion) उगाने वाले बड़े राज्यों के किसानों से इस प्याज की खरीद की. यह फसल सर्दियो में बोई जाती है.  मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक देश के प्याज उत्पादन में 65 प्रतिशत हिस्सा अप्रैल से जून के बीच बोया जाता है और अक्टूबर में काट लिया जाता है. जिसे बाद में सरकार किसानों से खरीदकर स्टॉक कर लेती है. यही वजह है कि बरसात के दिनों में भी देश में प्याज की कमी नहीं होती. 


अप्रैल-जून के दौरान सर्दियों में बोई जाने वाली प्याज की कटाई भारत के प्याज उत्पादन का 65% है और अक्टूबर-नवंबर से गर्मियों की फसल की कटाई तक मांग को पूरा करती है. ऐसे में देश में प्याज की कीमतें संतुलित रखने के लिए इसका स्टॉक करना जरूरी हो जाता है. एक अधिकारी ने बताया कि इस स्टॉक से उन शहरों में प्याज भेजी जाएगी, जहां पर पिछले महीने की तुलना में इसीक कीमतों में बढ़ोतरी हुई हो. यह काम अगस्त से शुरू हो सकता है. 


देशभर के स्टॉक केंद्रों मे जमा की गई प्याज


पिछले आंकड़ों से पता चलता है कि प्याज (Onion) की कीमतें आमतौर पर सितंबर के आसपास चरम पर होती हैं क्योंकि पिछली फसलों के स्टॉक खत्म हो जाते हैं. जबकि ताजा फसल आमतौर पर जनवरी में ही बाजारों में आती है. प्याज एक ऐसी फसल है, जो ढंग से स्टोर न की जाए तो इसके सड़ने, अंकुर फूटने या गलने की स्थिति पैदा की जाती है. इसलिए स्टॉक के दौरान इसकी काफी देखभाल की जरूरत होती है. 


देशभर में प्याज का सबसे ज्यादा उत्पादन महाराष्ट्र में होता है. एक तरीके से देखा जाए तो वहां पर होने वाले उत्पादन से ही पूरे देश में प्याज की कीमतें तय होती है. महाराष्ट्र के लासलगांव में प्याज की कीमतें औसतन 1,225 रुपये प्रति क्विंटल पर चल रही हैं और अब तक स्थिर बनी हुई हैं. 


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