CREDAI-NCR On Authority’s Dues: रियल्टी कंपनियों के निकाय क्रेडाई-एनसीआर (CREDAI-NCR) ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा के विकास प्राधिकरणों से बिल्डरों के लिए एकमुश्त निपटान योजना लाने का आग्रह किया. इससे भूमि की एवज में सभी  बकाया भुगतान का निपटाया जा सकेगा. एसोसिएशन का सुझाव सुप्रीम मोर्ट द्वारा 10 जून, 2020 के अपने आदेश को वापस लेने के एक दिन बाद आया है. इस आदेश में विभिन्न बिल्डरों को पट्टे पर दी गई भूमि के बकाये पर ब्याज की दर की सीमा 8 प्रतिशत निर्धारित की गई थी.


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नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बिल्डरों के लिए झटका
शीर्ष अदालत का आदेश यूपी में नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बिल्डरों के लिए झटका है. सोमवार को मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा के अपील को इस आधार पर अनुमति दी क्योंकि दोनों प्राधिकरणों का कहना था कि इस आदेश की वजह से उन्हें भारी नुकसान हो रहा है और उनका कामकाज लगभग ठप हो गया है.


प्राधिकरण से पुनर्विचार की अपील
फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए क्रेडाई-एनसीआर (CREDAI-NCR) के अध्यक्ष मनोज गौड़ ने कहा कि न्यायालय के आदेश को वापस लेने से अस्पष्टता और बाद में ब्याज दरों के प्रमुख मुद्दे पर गतिरोध दूर हो गया. उन्होंने कहा, 'लेकिन प्राधिकरण को ब्याज दर और जिस तरह से यह इसे बिल्डरों पर लगाया जाता है, उसपर पुनर्विचार करना चाहिए. यह न केवल उच्च ब्याज दर है, बल्कि पेनाल्‍टी भी है.'


दिवालिया हो सकते हैं कई रियल एस्टेट प्रोजेक्‍ट
गौड़ ने यह भी चिंता व्यक्त की कि इससे कई रियल एस्टेट प्रोजेक्‍ट दिवालिया हो सकते हैं. गौरतलब है क‍ि कि 10 जून, 2020 को नोएडा और ग्रेटर नोएडा क्षेत्रों में रियल एस्टेट कंपनियों को उस समय बहुत जरूरी राहत मिली थी, जब शीर्ष अदालत ने भूमि के बकाया पर लगाये जाने वाले 15 से 23 प्रतिशत की ब्याज दर को 8 प्रतिशत पर सीमित कर दिया था. हालांकि, सोमवार को शीर्ष अदालत ने अपने पिछले साल के आदेश को वापस ले लिया है. (भाषा)


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