नई दिल्ली : फाइव स्टार जैसे हॉस्पिटल, स्कूल और दूसरे ऐसे कई संस्थान जो नॉन प्रॉफिट कंपनी के तौर पर रजिस्टर्ड हैं. लेकिन भारी भरकम फीस और चार्ज वसूलकर मुनाफा कमा रहे हैं उन पर एक्शन की तैयारी हो रही है. जी मीडिया को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक सरकार ऐसी संस्थाओं से खुद को नॉन प्रॉफिट साबित करने के लिए कहेगी. अगर ऐसी संस्थाएं खुद को नॉन प्रॉफिट साबित नहीं कर पाती हैं तो उनका सेक्शन 8 के तहत रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा.


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नॉन प्रॉफिट कंपनियों पर इनकम टैक्स की देनदारी भी नहीं
इसका सीधा मतलब यह है कि सेक्शन 8 के तहत मिलने वाली सारी रियायतें वापस ले ली जाएंगी. सरकार इसके लिए ऐसी कंपनियों को नोटिस भेजकर उनका खाता बही मांग सकती है. सेक्शन 8 की कंपनियों को इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता. क्योंकि नॉन प्रॉफिट होने के नाते इनकम टैक्स की देनदारी नहीं बनती. ऐसी कंपनियों के लिए किसी न्यूनतम पूंजी की भी शर्त नहीं होती.


नियम तोड़ने पर पेनाल्टी और जुर्माने का प्रावधान
सरकार ने सेक्शन 8 के तहत ऐसी रियायतें आर्ट, साइंस, एजुकेशन, रिसर्च, धार्मिक कार्य, कॉमर्स, स्पोर्ट्स, पर्यावरण के बचाव और दूसरे जनहित के मामलों के लिए काम करने वाली कंपनियों को दी जाती हैं. ऐसी कंपनियां अपने सदस्यों को मुनाफा नहीं दे सकतीं. बल्कि मुनाफे का इस्तेमाल अपने मकसद को आगे बढ़ाने के लिए कर सकती हैं. सेक्शन 8 के तहत रजिस्टर्ड कोई कंपनी अगर नियम तोड़ती है या गड़बड़ियां करती है तो उसके लिए पेनाल्टी और जुर्माने दोनों का प्रावधान है.



गड़बड़ी करने वाली कंपनी पर 10 लाख से 1 करोड़ रुपये तक की पेनाल्टी लग सकती है. जबकि ऐसी कंपनी के हर अधिकारी और हर डायरेक्टर्स पर 25 हज़ार रुपये से लेकर 25 लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है. साथ ही तीन साल तक जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है. सरकार चाहे तो कंपनी कानून के सेक्शन 447 के तहत मुकदमा भी कर सकती है.