नई दिल्ली: अगले साल से देश के कई ऐसे शहरों व गांवों में आरओ की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लग जाएगा जहां पर टीडीएस की मात्रा 500 मिलीग्राम से काफी कम है. हालांकि ज्यादा टीडीएस वाले शहरों में इसका प्रयोग पहले की तरह होता रहेगा. राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को यह निर्देश दिया है कि आरओ प्यूरीफायरों पर प्रतिबंधित लगाने के लिए इस साल के अंत तक अधिसूचना जारी करें. 


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मंत्रालय ने एनजीटी प्रमुख न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ को सूचित किया कि कोरोना वायरस महामारी के कारण यह कवायद पूरी नहीं हो सकी. इसके बाद प्राधिकरण ने मंत्रालय को और समय दे दिया. पीठ ने कहा, " एक साल के बाद भी पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने लॉकडाउन के आधार पर और समय की मांग की है. आवश्यक कार्रवाई अब 31 दिसंबर, 2020 तक पूरी हो जाए."


एनजीटी ने पहले कहा था कि उसके आदेश का पालन करने में हो रही देरी से लोगों की सेहत और पर्यावरण को नुकसान हो रहा है.  आदेश पर तेजी से पालन किया जाए. मंत्रालय ने एनजीटी के आदेश पर अमल करने के लिए जनवरी में चार माह का वक्त मांगा था.


दी थी मंत्रालय के अधिकारी को चेतावनी
पिछली सुनवाई पर एनजीटी ने अधिसूचना जारी करने में देरी के लिए मंत्रालय की आलोचना की थी और संबंधित अधिकारी को उसकी तनख्वाह रोकने की चेतावनी दी थी. प्राधिकरण ने पहले कहा था कि उसका आदेश विशेषज्ञों की एक समिति की रिपोर्ट पर आधारित है जिसमें पर्यावरण एवं वन मंत्रालय का प्रतिनिधि भी शामिल था और यह किसी अन्य प्राधिकारी की इजाजत के बिना दंडात्मक परिणाम के साथ लागू करने योग्य है.


होते हैं स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव
आरओ (रिवर्स ऑस्मोसिस) प्यूरिफायर के इस्तेमाल को नियमित करने की कोशिश में एनजीटी ने सरकार को आदेश दिया था कि जहां प्रति लीटर पानी में टीडीएस 500 मिलीग्राम से कम है वहां पर प्यूरिफायर के इस्तेमाल पर रोक लगाई जाए और लोगों को मिनरल की कमी के दुष्प्रभावों के बारे में संवेदनशील किया जाए.


यह है WHO की गाइडलाइन
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अध्ययन के मुताबिक, टीडीएस प्रति लीटर पानी में 300 मिलीग्राम से कम है तो यह बेहतरीन माना जाता है, जबकि प्रति लीटर पानी में 900 मिलीग्राम से ज्यादा है तो यह खराब माना जाता है. विशेषज्ञ समिति ने कहा था कि अगर टीडीएस प्रति लीटर में 500 मिलीग्राम से कम है तो आरओ प्रणाली उपयोगी नहीं है, बल्कि पानी में से अहम मिनरल निकाल देती है और पानी को जाया करती है. इसके बाद एनजीटी ने आदेश दिया था. 


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