बाइक चलाने वाले हो जाएं सावधान! सरकार बदलने जा रही है ये नियम, जान लें नहीं तो होगी दिक्कत
New Bike Driving Rule: अगर आप भी बाइक चलाते हैं, तो ये खबर आपके लिए ही है. सरकार जल्द ही बाइक चलाने के नियमों में बदलाव करने जा रही है. परिवहन मंत्रालय ने इसके लिए ड्राफ्ट जारी कर दिया है. अभी इस ड्राफ्ट पर लोगों से सरकार ने सुझाव और आपत्ति मांगी हैं.
नई दिल्ली. अगर आप बाइक पर सफर करते हैं तो ये खबर आपके लिए ही है. बाइक छोटे सफर के लिए बेस्ट समझी जाती है. क्योंकि वो कम खर्चे में चलती है. इसके अलावा ट्रैफिक वाली सड़कों पर भी बाइक से सफर करने पर समय की बचत होती है. सरकार ने बाइक से सफर करने वालों के लिए नियम में बदलाव किए हैं. ये नियम बच्चे को बिठाकर ड्राइव करने से जुड़ा हुआ है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MORTH) ने बच्चे की सुरक्षा के लिए ये कदम उठाया है. ताकि, बाइक पर सफर के दौरान बच्चे ज्यादा सेफ रहें. आइए आपको बताते हैं इस नियम के बारे में सबकुछ.
ये है नया नियम
नये प्रस्ताव के मुताबिक मुताबिक 4 साल तक के बच्चे को मोटरसाइकिल पर पीछे बैठाकर ले जाते समय दोपहिया वाहन जैसे बाइक, स्कूटर, स्कूटी आदि की स्पीड लिमिट 40 किमी प्रति घंटे से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
दोपहिया वाहन चालक पीछ बैठने वाले 9 महीने से 4 साल तक के बच्चे को क्रैश हैलमेट पहनाएगा.
MORTH के मुताबिक मोटरसाइकिल का चालक यह सुनिश्चित करेगा कि 4 साल से कम उम्र के बच्चों को अपने साथ बाइक या स्कूटर पर बांधे रखने के लिए सेफ्टी हार्नेस का इस्तेमाल करेगा.
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कैसे होगी बच्चों की सेफ्टी
सेफ्टी हार्नेस बच्चे द्वारा पहना जाने वाला एक ऐसा जैकेट होता है, जिसके साइज को एडजस्ट किया जा सकता है. इसे पहनने के बाद बच्चे की सेफ्टी बढ़ जाती है. क्यों कि ये बच्चे को बांधे रखने का काम करता है. दरअसल, सेफ्टी हार्नेस में कुछ फीते होते हैं, जो वाहन चालक के कंधे से जुड़े होते हैं.
नवंबर तक मांगे सुझाव और आपत्ति
मंत्रालय ने इस प्रस्ताव पर लोगों की आपत्ति और सुझाव भी मांगे हैं. जिस तरह बाइक में बच्चों की सुरक्षा के लिए सेफ्टी हार्नेस होते हैं. वैसे ही कार में चाइल्ड लॉक समेत अन्य फीचर्स दिए जाते हैं. इन फीचर्स के जरिए बच्चों की सेफ्टी बढ़ जाती है.
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जनवरी 2023 से होंगे लागू
जानकारी के अनुसार, सड़क परिवहन मंत्रालय व राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों ने नोटिफिकेशन पर नवंबर के अंत तक आपत्ति मांगी हैं. जो भी आपत्तियां आएगी उनका समाधान किया जाएगा. इसके बाद गजट जारी कर संशोधन कर दिया जाएगा. नोटिफिकेशन में साफ तौर पर कहा गया है कि संशोधन के एक साल बाद नए नियम लागू होंगे. मतलब दिसंबर तक आपत्तियों का निपटारा होने के बाद इसमें संशोधन कर दिया जाएगा और एक साल बाद यात्री 2022 के अंत तक या जनवरी 2023 में यह लागू हो जाएगा.
एक दिन में हुई औसतन 31 बच्चों की एक्सीडेंट में मौत
सड़क परिवहन मंत्रालय के अनुसार 2019 में देशभर में हुए सड़क हादसों में 11168 बच्चों की मौत हुई. इसके मुताबिक एक दिन में औसतन 31 बच्चों की जानें गईं जो सड़क हादसे से होने वाली मौतों का आठ फीसदी है. पिछले वर्ष के मुकाबले यह आंकड़ा 11.94 फीसदी अधिक था.
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