नई दिल्लीः मौजूदा साल 2020-21 के लिए अभी तक के हालात देखते हुए GDP दर 1.5% से 2% का अनुमान लगाया है लेकिन छह माह पूरे होने पर फिर इसकी समीक्षा करेंगे. वित्त मंत्रालय के चीफ इकोनोमिक एडवाइजर के. सुब्रमन्यम ये बात कही. रेटिंग एजेंसीज ने भारत का आउटलुक स्टेबल रखा है और आने वाले समय में अच्छे जीडीपी की उम्मीद जताई है. कृषि क्षेत्र में सरकार ने जो रिफॉर्म किया है उससे लोगों के पास पैसा आएगा और इसका प्रभाव विकास दर पर पड़ेगा.  45 फीसदी जनसंख्या सीधे कृषि से जुड़ी है.


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चीफ इकोनोमिक एडवाइजर के सुब्रमण्यम ने आत्म निर्भर पैकेज की तुलना नेहरू और नरसिंहाराव के आर्थिक रिफॉर्म से करते हुए अभी हुए आत्म निर्भर वाले रिफॉर्म को निजी क्षेत्र की भूमिका में अच्छा बताया. 


के सुब्रमण्यम ने कहा, 'सरकार ने जो निर्भर रिफॉर्म पैकेज दिया है, चाहे एग्रीकल्चर क्षेत्र में दिया हो या माइनिंग क्षेत्र में या प्राइवेटाइजेशन की तरफ दिया हो, वह बहुत ही मायने रखता है. जैसे कि प्राइवेट क्षेत्र की इकोनॉमी में भूमिका पर क्लीयर विजन दिया गया है, पीछे जाएंगे तो पाएंगे 1955 के इंडस्ट्रियल पॉलिसी रिफॉर्म हुआ जिसमें सरकारी क्षेत्र की कंपनियों को कमांडिंग अधिकार मिले और 1991 में मार्केट ओरिएंटेड रिफॉर्म को देखिए तो तीन दशक में भी हम निजी क्षेत्र की भूमिका को सही रूप से नहीं रख पाए. जब हम सारे रिफॉर्म को एकसाथ देखते हैं आत्म निर्भर पैकेज में रिफॉर्म से इसका जवाब मिल जाएगा.'


9.5 फीसदी जा सकती है जीडीपी
चालू वित्त वर्ष में गहरे संकुचन के बाद देश की अर्थव्यवस्था के अगले वित्त वर्ष में 9.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने का अनुमान है. रेटिंए एजेंसी फिच रेटिंग्स (Fitch Ratings) ने बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही. फिच ने बुधवार को अपना एशिया-प्रशांत ऋण साख परिदृश्य जारी किया. इसमें कहा गया है, ‘‘कोविड-19 महामारी ने देश के वृद्धि परिदृश्य को कमजोर किया है. इसकी अन्य प्रमुख वजह सरकार पर भारी कर्ज के चलते कई चुनौतियां भी पैदा होना है.’’ अंतरराष्ट्रीय एजेंसी S&P ने भारत की अर्थव्यवस्था के मौजूदा दौर की रेटिंग  BBB-/A-3 बताते हुए नजरिया स्टेबल बताया है. एजेंसी के मुताबिक भारत की मॉनिटरी सेटिंग बढ़ोत्तरी की ओर है और रियल विकास दर औसत के ऊपर है. 


अमेरिकी रिपोर्ट भी जता चुकी है भारत पर भरोसा
हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस के स्वतंत्र शोध केंद्र ने कोविड-19 के वैश्विक आर्थिक प्रभावों के बारे में अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा, 'विदेशी निवेशकों ने विकासशील एशियाई अर्थव्यवस्थाओं से लगभग 26 अरब डॉलर और भारत से 16 अरब डॉलर से अधिक राशि बाहर निकाली.' शोध केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार लगभग सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं कोरोना वायरस के प्रकोप से नुकसान में हैं, लेकिन केवल तीन देशों भारत, चीन और इंडोनेशिया की विकास दर 2020 में सकारात्मक रहने का अनुमान है.


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