Wheat-Rice Price: देशभर में चावल और गेहूं की कीमतों पर लगाम लगाने और घरेलू उपलब्धता को बढ़ाने के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने बुधवार को कहा है कि गेहूं-चावल की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण करने के लिए सरकार ने इसके खुले बाजार में बेचने का फैसला लिया है. बता दें सरकार केंद्रीय पूल से खुले बाजार में 50 लाख टन गेहूं और 25 लाख टन चावल की और बिक्री करेगी.


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खुले बाजार में बेचे जाएंगे चावल-गेहूं
बता दें चावल खरीदारों की संख्या कम होने के बीच सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना (OMSS) के तहत चावल का आरक्षित मूल्य दो रुपये प्रति किलोग्राम घटाकर 29 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया है. गेहूं आयात शुल्क में कटौती की संभावना पर सरकार ने कहा कि वह भविष्य में आवश्यकता के आधार पर कदम उठाएगी क्योंकि चीजें गतिशील और विकसित हो रही हैं.


खाद्य सचिव ने दी जानकारी
खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने संवाददाताओं से कहा है कि दो वस्तुओं की कीमतें पिछले कुछ महीनों से खबरों में हैं, क्योंकि हम इन अनाजों की कीमतों में बढ़त की प्रवृत्ति देख रहे हैं. ओएमएसएस के तहत गेहूं का उठाव अब तक अच्छा रहा है. हालांकि, पिछली दो-तीन नीलामियों में गेहूं की भारित औसत कीमत बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि चावल में ज्यादा उठाव नहीं हुआ है.


क्यों लिया बिक्री का फैसला?
चोपड़ा ने कहा कि सरकार को लगा कि चावल के आरक्षित मूल्य में बदलाव से बेहतर परिणाम आ सकते हैं. उन्होंने कहा है कि सरकार ने ओएमएसएस के जरिए 50 लाख टन गेहूं और 25 लाख टन चावल खुले बाजार में लाने का फैसला किया है. यह 28 जून को ओएमएसएस के तहत घोषित 15 लाख टन गेहूं और 5 लाख टन चावल की बिक्री के अतिरिक्त है.


31 से घटकर 29 रुपये होगा रेट
इसके अलावा, सचिव ने कहा कि सरकार ने चावल का आरक्षित मूल्य 2 रुपये प्रति किलोग्राम घटाकर 31 रुपये प्रति किलोग्राम से 29 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया है. हालांकि, गेहूं का आरक्षित मूल्य अपरिवर्तित रखा गया है क्योंकि ओएमएसएस के तहत व्यापारियों से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है.


कीमतें सुधरने में मिलेगी मदद
चोपड़ा ने कहा कि सरकार उम्मीद कर रही है कि इन उपायों से न केवल बाजार में उपलब्धता में सुधार होगा बल्कि कीमतों को कम करने और खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी. उन्होंने कहा, 'अगले कुछ हफ्तों में प्रतिक्रिया के आधार पर, हम उनमें बदलाव करते रहेंगे. अंतिम उद्देश्य खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखना है.' उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर अधिक आक्रामक नीलामी करने के लिए सरकार के पास पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है.


गेहूं आयात शुल्क में कटौती की संभावना पर सचिव ने कहा, ‘‘अभी, हमने ये कदम उठाए हैं. ये गतिशील और विकासशील हैं. भविष्य में आवश्यकताओं के आधार पर, हम कदम उठाएंगे.’’ उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र यह सुनिश्चित करने के लिए राज्यों के साथ काम कर रहा है कि गेहूं में स्टॉक सीमा का उल्लंघन न हो.


इनपुट - भाषा एजेंसी