Privatisation Alert! अब इस सरकारी बीमा कंपनी के निजीकरण की तैयारी! मॉनसून सत्र में पेश किया जा सकता है बिल
Privatisation of Insurance Companies: दो सरकारी बैंकों और एक सरकारी बीमा कंपनी के निजीकरण को लेकर सरकार तेजी से कदम बढ़ा रही है, कानूनों में संशोधनों के बाद इस बिल को आने वाले मॉनसून सत्र में पेश किया जा सकता है.
नई दिल्ली: Privatisation of Insurance Companies: सरकारी जनरल इंश्योरेंस कंपनियों के निजीकरण के लिए सरकार अब जनरल इंश्योरेंस बिजनेस (नेशनलाइजेशन) एक्ट (GIBNA) में संशोधनों पर काम कर रही है. इसे लेकर एक बिल मॉनसून सत्र में पेश किया जा सकता है. मॉनसून सत्र 19 जुलाई से शुरू होने की उम्मीद है.
बजट में किया था वित्त मंत्री ने ऐलान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के बजट भाषण में निजीकरण को लेकर बड़े ऐलान किए थे, जिसमें दो सरकारी बैंकों और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण शामिल है. वित्तीय सेक्टर में विनिवेश रणनीति के तहत सरकार ने भारतीय जीवन बीमा निगम यानी LIC का IPO लाने का फैसला किया है, साथ ही IDBI बैंक में अपनी बाकी हिस्सेदारी भी सरकार बेचने वाली है.
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नीति आयोग ने आगे बढ़ाया इस बीमा कंपनी का नाम
सरकार निजीकरण को लेकर तेजी से कदम बढ़ा रही है. सरकार ने वित्त वर्ष 2022 के लिए वित्तीय संस्थाओं और सरकारी कंपनियों में हिस्सा बिक्री के जरिए 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. NITI आयोग को निजीकरण के लिए दो सरकारी बैंकों और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का नाम देने के लिए कहा गया था, माना जा रहा है कि नीति आयोग ने विनिवेश पर बनी सचिवों के कोर ग्रुप को United India Insurance का नाम निजीकरण के लिए आगे बढ़ाया है.
तीन बीमा कंपनियों को पूंजी की मंजूरी
इसके अलावा सरकार बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 में भी संशोधन करने की ओर बढ़ रही है, ताकि दो सरकारी बैंकों का भी निजीकरण किया जा सके. पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में तीन जनरल इंश्योरेंस कंपनियों National Insurance, Oriental Insurance और United India Insurance को पूंजी देने के प्रस्ताव को पास किया गया था.
कैबिनेट ने मंत्रिमंडल ने National Insurance (NICL) की अधिकृत शेयर पूंजी को बढ़ाकर 7,500 करोड़ रुपये, United India Insurance (UIICL) और Oriental Insurance (OICL) की अधिकृत शेयर पूंजी को बढ़ाकर 5,000 करोड़ रुपये करने का भी फैसला किया था. ठीक इसी समय कैबिनेट ने NICL, OICL और UIICL के विलय के पहले के बजट प्रस्ताव को खारिज कर दिया था.
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