नई दिल्ली: पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ) समेत छोटी बचत योजनाओं को उपभोक्ता को जल्द बड़ी राहत मिल सकती है. सरकार इसके लिए एक प्रावधान तैयार कर रही है. इससे उपभोक्ताओं को तय वक्त से पहले अपने अकाउंट से पैसा निकालने और उसे बंद करने की छूट मिल सकती है. दरअसल, सरकार का मानना है कि इससे रुपए की अचानक जरूरत पड़ने पर उपभोक्ता पैसा निकाल सकेगा. सरकार का यह भी मानना है कि ऐसा करने से छोटी बचत योजनाओं के प्रति लोगों को रूझान बढ़ेगा. 


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सरकार लाएगी नया एक्ट
सूत्रों के मुताबिक, यह प्रस्ताव एक बड़ी रीस्ट्रक्चरिंग का हिस्सा है. 2018-19 के बजट प्रस्ताव में इन सभी योजनाओं को एक ही कानून के दायरे में लाने की बात कही गई थी. इसके तहत गवर्नमेंट सेविंग्स प्रमोशन एक्ट बनाया जाएगा. टैक्स एक्सपर्ट सुभाष जैन के मुताबिक, नया एक्ट आने से सबसे ज्यादा फायदा नौकरीपेशा को होगा. जिन्हें अक्सर पैसे की जरूरत पड़ती है, लेकिन स्कीम पर कैप लगी होने से ऐसा मुमकिन नहीं होता. 


कौन से एक्ट हो सकते हैं खत्म


  • पब्लिक प्रॉविडेंट फंड एक्ट 1962

  • गवर्नमेंट सेविंग्स सर्टिफिकेट एक्ट 1959

  • गवर्नमेंट सेविंग्स बैंक एक्ट 1873


नए संशोधनों में मिलेंगे और फायदे
इकोनॉमिक टाइम्स अखबार में छपी एक खबर के मुताबिक, सरकार लोगों के लिए नए संशोधन भी कर सकती है. फिलहाल नाबालिग के अकाउंट में पैसा डालने की छूट कुछ ही स्कीम्स में है. सरकार इसे सब स्कीमों में लाने की तैयारी कर रही है. इसमें एक संशोधन ये भी हो सकता है कि नाबालिग खुद तय कर सकेगा कि उसका उत्तराधिकारी कौन होगा. साथ ही तय वक्त से पहले बंद करने की छूट मेडिकल या फाइनेंशियल एमरजेंसी में है. इसे भी नोटिफाई करने का अधिकार उपभोक्ता को दिया जा सकता है. 


एक जैसे होंगे सभी स्कीम्स के नियम
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, सभी छोटी बचत योजनाओं के नियमों को आसान बनाने की कोशिश की जा रही है. सभी नियम एक जैसे होंगे. बदलाव का असर उपभोक्ता पर बिल्कुल नहीं पड़ेगा. बल्कि उपभोक्ता को आसानी होगी और नियमों में छूट मिलने से वह अपने पैसा का इस्तेमाल भी कर सकेगा. सूत्रों की मानें तो इस बदलाव से योजनाओं में अंतर खत्म होंगे. इसका मकसद भी यही है कि उपभोक्ता बिल्कुल परेशान न हो. उसे जिस स्कीम में पैसा लगाना है वह अपनी इच्छा अनुसार लगा सके. 


अभी PPF में यह है व्यवस्था
एक कानून होने से अलग-अलग स्कीम के बीच का अंतर खत्म होगा. 15 साल की पीपीएफ स्कीम में सातवें साल में पहले विदड्रॉल की इजाजत होती है. उसमें भी चौथे साल के अंत में रहे बैलेंस का 50 फीसदी हिस्सा ही निकाला जा सकता है. कुछ स्थितियों में 5 साल बाद अकाउंट बंद किया जा सकता है. लेकिन, उसमें सरकार टीडीएस काटती है. वहीं, नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट्स स्कीम में तय वक्त से पहले बंद करने या पैसा निकालने की शर्तें बहुत सख्त हैं. 


कमीशन ने की कानून बनाने की सिफारिश
लॉ कमीशन ने सरकार को सिफारिशें सौंपी हैं. इन सिफारिशों में कमीशन ने एक कानून बनाने की बात कही है. सरकार ने कहा है कि इन बदलावों से मौजूदा निवेशकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष गर्ग ने शनिवार को एक ट्वीट में कहा था कि कुर्की की सूरत में पीपीएफ डिपॉजिट्स को प्रोटेक्शन मिलता रहेगा.