Health Insurance Claim: इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने के बाद ट्रीटमेंट का खर्च हेल्थ इंश्योरेंस से कवर तो हो जाता है, लेकिन क्लेम सेटलमेंट के लंबे प्रोसेस से मरीज और उनके परिजन परेशान हो जाता है.  ट्रीटमेंट खत्म होने के बाद डॉक्टर की ओर से घर जाने की इजाजत तो मिल जाती है, लेकिन हेल्थ इंश्योरेंस के क्लेम सेटलमेंट में लगने वाला समय इतना लंबा हो जाता है कि मरीज को कई घंटों तक अस्पताल में ही इंतजार करना पड़ जाता है. परिजन TPA डेस्क के चक्कर लगाते रह जाते हैं तो मरीज घर लौटने का इंतजार करते रह जाता है, लेकिन अब इंतजार की ये घड़ियां खत्म हो जाएगी. हेल्थ इंश्योरेंस के क्लेम सेटलमेंट के नियम में बदलाव होगा.  


IRDAI ने  हेल्थ इंश्योरेंस का बदला नियम  


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बीमा नियामक संस्था भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर नियमों में थोड़ा बदलाव किया है. नए बदलाव से बीमाधारकों को राहत मिलेगी. आईआरडीएआई ने हेल्थ इंश्योरेंस पर 55 सर्कुलरों को निरस्त करते हुए एक मास्टर सर्कुलर जारी किया है. नए मास्टर सर्कुलर के मुताबिक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीधारकों के क्लेम का सेटलमेंट अब 3 घंटों में होगा.  


3 घंटे में होगा क्लेम सेटलमेंट  


IRDAI ने मास्टर सर्कुलर के साथ बीमाधारकों को बड़ी राहत दी है. अब पॉलिसी होल्डर्स को क्लेम सेटलमेंट के लिए इंतजार नहीं करना होगा. आईआरडीएआई के नए सर्कुलर के मुताबिक अस्पताल से डिस्चार्ज रिक्लेस्ट की रसीद प्राप्त होने के चीन घंटे के भीतर क्लेम सेटलमेंट करना होगा. 29 मई 2024 को आईआरडीएआई ने नया सर्कुलर जारी किया है. नए सर्कुलर में कहा गया है कि किसी भी स्थिति में पॉलिसीधारक को अस्पताल से छुट्टी मिलने के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा. बीमा नियामक ने कंपनियों को हिदायत देते हुए कहा है कि अगर पॉलिसीधारक के क्लेम सेटलमेंट में 3 घंटे से अधिक का वक्त लगता है और अस्पताल उससे अतिरिक्त चार्ज वसूलता है तो अतिरिक्त रकम बीमा कंपनी को देनी होगी.  


100 फीसदी कैशलेस सेटलमेंट  


बीमा नियामक ने कहा कि अगर इलाज के दौरान पॉलिसीधारक की मौत हो जाती है तो बीमा कंपनी क्लेम सेटलमेंट रिक्वेस्ट पर तुरंत कार्रवाई करेगा. वहीं  IRDAIने बीमा कंपनियों को सख्त हिदायत दी है कि वो तय समय के भीतर 100 फीसदी कैशलेस क्लेम सेटरमेंट करे. इमरजेंसी की स्थिति में 1 घंटे के भीतर कैशलेस रिक्वेस्ट पर फैसला लेना होगा.  वहीं बीमा कंपनियों को ये भी सलाह दी गई है कि वो डिजिटल मोड से पॉलिसीधारकों को प्री अथॉराइजेशन प्रोसेस प्रोवाइड करवाए.