मुंबई : संकट में फंसी आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) की पूर्व मुख्य कार्यकारी चंदा कोचर ने कहा कि बैंक में कर्ज देने का कोई भी फैसला एकतरफा नहीं किया गया था. कोचर ने यह प्रतिक्रिया वीडियोकॉन समूह को दिए गए 3,250 करोड़ रुपये के विवादास्पद ऋण मामले में न्यायमूर्ति श्रीकृष्ण समिति द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद दी.


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मुझे रिपोर्ट की कॉपी तक नहीं दी गई
समिति ने कहा कि इस लोन को देने में बैंक के आचार संहिता का उल्लंघन किया गया जिसमें हितों का टकराव का आचरण भी शामिल था, क्योंकि इस कर्ज का एक हिस्सा उनके पति दीपक द्वारा चलाई जा रही कंपनी को दिया गया, जिससे उन्हें विभिन्न वित्तीय लाभ प्राप्त हुए. कोचर ने एक बयान जारी कर कहा, 'मैं फैसले से बुरी तरह निराश, आहत और परेशान हूं. मुझे रिपोर्ट की कॉपी तक नहीं दी गई. मैं फिर दोहराती हूं कि बैंक में कर्ज देने का कोई भी फैसला एकतरफा नहीं किया गया.'


कोचर को दिए बोनस को वापस लेने का फैसला
उन्होंने आगे कहा, 'आईसीआईसीआई स्थापित मजबूत प्रक्रियाओं और प्रणालियों वाला संस्थान है, जहां समिति आधारित सामूहिक निर्णय लेने की प्रक्रिया है तथा इसमें कई उच्च क्षमता वाले पेशेवर भी शामिल होते हैं.' उन्होंने कहा, 'इसलिए संगठन का डिजायन और संरचना हितों के टकराव की संभावना को रोकता है.' बैंक निदेशक मंडल ने इसके साथ ही 2009 से कोचर को दिए गए बोनस को वापस लेने के लिए कहा है.


कोचर ने कहा, 'मैंने अपने करियर को पूरी ईमानदारी के साथ आगे बढ़ाया है. एक पेशेवर के रूप में मुझे अपने आचरण पर पूरा विश्वास है. मुझे पूरा भरोसा है कि अंत में सत्य की जीत होगी.'