इस्लामाबाद: अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) से पाकिस्तान को मिलने वाले राहत पैकेज में देरी हो सकती है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आईएमएफ ने पाकिस्तान से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गालियारे (सीपीईसी) की जानकारी मांगी है. आईएमएफ ने इस बात की भी गारंटी की मांग की है कि पाकिस्तान राहत पैकेज की राशि का इस्तेमाल चीन को कर्ज की किश्तें चुकाने में नहीं करेगा. पाकिस्तान के अखबार डॉन ने सोमवार को आधिकारिक स्रोतों के हवाले से कहा कि राहत पैकेज को अंतिम रूप देने के लिये यहां आने वाले आईएमएफ दल के आने की योजना टल सकती है. 


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दोनों पक्ष अनुबंध की अंतिम शर्तों पर गहन चर्चा कर रहे हैं. पाकिस्तान के वित्त मंत्री असद उमर ने इससे पहले इस महीने कहा था कि आईएमएफ का एक दल विश्वबैंक के साथ ग्रीष्मकालीन बैठक के तुरंत बाद यहां आने वाला है. उन्होंने कहा था कि अप्रैल महीने के अंत राहत पैकेज पर हस्ताक्षर हो जाएंगे. सूत्रों ने कहा, 'अब आईएमएफ का दल अप्रैल के बजाय मई में यहां आ सकता है.' 


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पाकिस्तान की आर्थिक हालत बेहद खराब है. यहां महंगाई दर 9.14 फीसदी को पार कर चुकी है. मार्च के अंत में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार (फॉरेन रिजर्व) मात्र 10.5 बिलियन डॉलर था. जनवरी महीने में यह 6.6 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया था. पाकिस्तान कर्ज के लिए लगातार वर्ल्ड बैंक और IMF के चक्कर लगा रहा है. 1980 से अब तक पाकिस्तान IMF से 12 बार कर्ज की मांग कर चुका है. पिछले दिनों चीन ने भी दो अरब डॉलर की आर्थिक मदद दी थी.न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक,  अर्थव्यवस्था को जिंदा रखने के लिए पाकिस्तान के पास कर्ज लेने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. मित्र देश चीन और सऊदी अरब से मदद जरूर मिली है, लेकिन यह उतनी नहीं है कि गाड़ी रफ्तार पकड़ सके. 


(इनपुट-भाषा से भी)