Income Tax Return: इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के लिए वर्तमान में दो टैक्स रिजीम है. इनमें एक पुराना टैक्स रिजीम है और दूसरा नया टैक्स रिजीम है. वहीं जिन लोगों की इनकम टैक्सेबल है, उन लोगों को आईटीआर अनिवार्य रूप से दाखिल करना होता है. वहीं अगर लोगों की इनकम ज्यादा है तो वो टैक्स सेविंग का उपाय भी कर सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कैसे लोग इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते वक्त टैक्स बचा सकते हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

टैक्स सेविंग
प्रसिद्ध कहावत है 'एक पैसा बचाने का मतलब एक पैसा कमाना हुआ है.' टैक्स प्लानिंग एक ऐसा तरीका है जो आपको टैक्स बचाने और अपनी आय बढ़ाने में मदद कर सकता है. आयकर अधिनियम एक विशेष वित्तीय वर्ष में टैक्सपेयर्स के जरिए किए गए विभिन्न निवेश, बचत और व्यय के लिए कटौती प्रदान करता है. हम कुछ ऐसे तरीकों पर चर्चा करेंगे जो आपको टैक्स बचाने में मदद कर सकते हैं. अगर पुराने टैक्स रिजीम से आईटीआर दाखिल कर रहे हैं तो टैक्स बचाने के लिए इन सेक्शन से लाभ लिया जा सकता है.


धारा 80सी कटौती: एक व्यक्ति निर्दिष्ट निवेश और व्यय करके अधिकतम 1.5 लाख रुपये की कटौती का दावा कर सकता है.


धारा 80सीसीडी (1बी): यह धारा एक वित्तीय वर्ष में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में किए गए निवेश के लिए 50,000 रुपये की अतिरिक्त कटौती की अनुमति देती है. यह कटौती धारा 80सी कटौती के अतिरिक्त है. इसलिए एक व्यक्ति धारा 80सी और धारा 80सीसीडी(1बी) के तहत कटौतियों को मिलाकर अधिकतम 2 लाख रुपये की कटौती का दावा कर सकता है.


धारा 80सीसीडी (2): यदि कोई नियोक्ता एनपीएस खाते में योगदान करता है तो कर्मचारी इस कटौती का दावा कर सकता है. एक कर्मचारी अधिकतम कटौती का दावा कर सकता है जो वेतन का 10% है (यहां वेतन का मतलब मूल प्लस महंगाई भत्ता है). सरकारी कर्मचारी के मामले में, वेतन से अधिकतम 14% कटौती की अनुमति है.


धारा 80डी: स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के लिए भुगतान किया गया प्रीमियम आयकर अधिनियम के तहत कर कटौती के लिए पात्र है. इस धारा के तहत दावा की जा सकने वाली अधिकतम कटौती बीमाधारक की उम्र पर निर्भर करती है. यदि कोई व्यक्ति 60 वर्ष से कम है, तो अधिकतम कटौती की अनुमति 25,000 रुपये है. हालांकि, यदि व्यक्ति वरिष्ठ नागरिक है, तो अधिकतम 50,000 रुपये की कटौती का दावा किया जा सकता है.


एचआरए कर-छूट: यदि आप अपने वेतन के एक हिस्से के रूप में मकान किराया भत्ता (एचआरए) प्राप्त कर रहे हैं और किराए के आवास पर रह रहे हैं, तो आप एचआरए पर टैक्स छूट का दावा करने के पात्र हैं. आयकर कानून एचआरए की राशि को टैक्स से छूट की गणना करने के लिए नियमों को परिभाषित करते हैं.


जरूर पढ़ें:                                                                        


सिर्फ रजिस्ट्री कराने से नहीं बनते प्रॉपर्टी के मालिक, ये एक गलतफहमी अभी कर लें दूर NSE ने न‍िवेशकों को चेताया, यहां न‍िवेश करने वाले हो जाएंगे 'कंगाल'; आज ही न‍िकाल लें पैसा