India Thailand Trade Relation: विश्व व्यापार संगठन (WTO) में थाईलैंड (Thailand) के राजदूत पिमतानोक वॉनकोर्पोन पिटफील्ड ने भारत के खिलाफ जो कहा, उसने नए विवाद को जन्म दे दिया है. डब्लूटीओ में थाईलैंड ने भारत पर आरोप लगाया कि भारत निर्यात बाजार पर हावी होने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए खरीदे गए सब्सिडी वाले चावल का इस्तेमाल कर रहा है.  थाईलैंड के इस बयान के बाद कूटनीतिक विवाद शुरू हो गया है. भारत ने आपत्ति जताते हुए उन सभी  ग्रुप डिस्कशंस को बायकॉट करने का फैसला किया, जिसमें थाइलैंड के प्रतिनिधि मौजूद होंगे. भारत ने न केवल थाईलैंड को लताड़ लगाई, बल्कि उन देशों को भी सुनाया, जो थाईलैंड के कंधे पर रखकर बंदूक चलाने की कोशिश कर रहे हैं. थाईलैंड राजदूत के बयान ने भारत और थाईलैंड के बीच कूटनीतिक तनाव को बढ़ा दिया है. जो थाईलैंड आज भारत के चावल पर सवाल उठा रहा है, वो भूल गया है कि कैसे भारत चावल निर्यात को लेकर भारत के फैसले ने उसकी तिजोरी भर दी थी. जुलाई 2023 में चावल की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए भारत सरकार ने गैर  बासमती चावलों के निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी, जिसका सबसे ज्यादा फायदा थाईलैंड को हुआ .   


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कैसे हैं भारत और थाईलैंड के संबंध  


डब्ल्यूटीओ में थाईलैंड की राजदूत ने भारत पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए सब्सिडी वाले चावल बांटने पर आपत्ति जताई. थाई राजदूत के इस बयान पर कूटनीतिक विवाद शुरू हो गया है. अगर इस विवाद का असर भारत और थाईलैंड के व्वयापारिक संबंधों पर पड़ा तो नुकसान थाईलैंड का ही होगा. थाईलैंड और भारत के बीच राजनयिक संबंधों की शुरुआत साल 1947 से हुई. दोनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक और व्यापारिक संबंधों है, लेकिन थाई राजदूत के बयान ने भारत को नाराज कर दिया है.  


थाईलैंड को भारी पड़ सकती है भारत की नाराजगी 


भारत की तेज रफ्तार इकोनॉमी जहां रॉकेट से रफ्तार से भाग रही है. वहीं थाईलैंड मंदी की मुहाने पर खड़ा है. साल 2023 में थाईलैंड की अर्थव्यवस्था में मात्र 1.9% की वृद्धि दर्ज की गई. पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी और निजी खपत में वृद्धि के बावजूद इकोनॉमिक ग्रोथ उम्मीदों से कम है. थाईलैंड के विनिर्माण क्षेत्र और सार्वजनिक व्यय में गिरावट आई है. अर्थव्यवस्था में मंदी के बीच भारत की नाराजगी थाईलैंड को भारी पड़ सकती है. इस बात को समझने के लिए पहले दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को समझते हैं. भारत और थाईलैंड के बीच अनाज से लेकर मसालों और मैन्युफैक्चरिंग मटेरियल का एक्सपोर्ट-इंपोर्ट होता है. अगर आंकड़ों में देखें तो साल 2019 में दोनों देशों के बीच 12.12 अरब डॉलर का कारोबार हुआ. कोविड के बावजूद साल  2020 में दोनों देशों के बीच 9.76 अरब डॉलर का कारोबार हुआ. अगर थाईलैंड के नियार्त के आंकड़ों को देखें तो साल 2018 में थाईलैंड ने भारत को लगभग 7.60 अरब डॉलर का निर्यात किया था, जबकि भारत ने थाईलैंड को 4.86 अरब  डॉलर का निर्यात किया था.  


15 अरब डॉलर का कारोबार  


भारत और थाईलैंड के साल 2021-22 में लगभग 15 अरब डॉलर का कारोबार हुआ. थाईलैंड  भारत का पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है.  भारत थाईलैंड को मुख्य रूप से चांदी की छड़ें, गोल्ड जूलरी, मशीनरी, मेटल, धातु अपशिष्ट स्क्रैप, कैमिकल प्रोडक्ट, सब्जियाँ और सब्जी उत्पाद, मेडिसीन, फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट, मछली और फिश प्रोडक्ट, व्हीकल्स और आयरन स्टील, चाय-कॉफी, मसाले, हाउसहोल्ड अप्लायंस, कपड़े आदि एक्सपोर्ट 


भारत की नाराजगी से थाईलैंड को क्या घाटा  


थाईलैंड की इकोनॉमी निर्यात पर निर्भर करती है. साल 2021 में थाईलैंड की जीडीटी में निर्यात की हिस्सेदारी 58 फीसदी की रही है. भारत उसका मुख्य निर्यातक देशों में से एक रहा है. अगर भारत के साथ संबंधों में खटास आती है तो थाईलैंड की इकोनॉमी को झटका लगेगा. थाईलैंड ने अपनी इकोनॉमी को बूस्ट करने के लिए भारतीय टूरिस्टों के लिए वीजा फ्री एंट्री का ऐलान किया. इस फैसले से एक साल में थाईलैंड को 12 हजार करोड़ का अतिरिक्त रेवेन्यू मिलने का अनुमान लगाया गया. संबंधों में खटास आने पर थाईलैंड को यहां भी घाटा हो सकता है. थाईलैंड में भारत की 40 से अधिक बड़ी कंपनियों का निवेश है. टाटा मोटर्स, टीसीएस, टेक महिंद्रा, डाबर, ल्यूपिन, एलएंडटी, एनआईआईटी और किर्लोस्कर ब्रदर्स जैसी बड़ी कंपनियों का निवेश थाईलैंड में है. ये कंपनियां थाईलैंड में बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करती है. अगर WTO में थाई राजदूत के बयान के चलते संबंधों में खटात पड़ी तो थाईलैंड को नुकसान हो सकता है.