Train AC Coach Capacity: अप्रैल में गर्मियों की शुरुआत होते ही घरों में एसी का चल जाना सामान्य बात है. आमतौर पर लोग अपने घरों को कूल रखने के लिए डेढ़ या 2 टन का एसी लगवाना पसंद करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ट्रेन के एसी कोच को ठंडा रखने के लिए उसमें कितने टन का ऐसी लगाया जाता है. निश्चित ही अधिकतर लोग इस सवाल का जवाब नहीं जानते होंगे. आज हम इस सवाल पर आपको बहुत बड़ी जानकारी देने जा रहे हैं. 


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एसी लगाने के लिए देखी जाती हैं ये चीजें


रेलवे अधिकारियों (Indian Railways) के मुताबिक ट्रेन के एसी कोच में कितनी क्षमता वाला एसी (Train AC Coach Capacity) लगाया जाए, इसे लेकर कोई निश्चित मापदंड नहीं हैं. यह काफी कुछ कोच के साइज और उसमें बैठने वाले यात्रियों की संख्या पर निर्भर करता है. इन दोनों चीजों को ध्यान में रखकर ही डिब्बे में एसी की क्षमता घटाई या बढ़ाई जाती है. 


ICF कोच में कितने टन का एसी?


हमारे देश की ट्रेनों में 2 तरह के एसी कोच इस्तेमाल किए जाते हैं. इनमें पहला है ICF कोच. ICF की फुल फॉर्म इंटीग्रल कोच फैक्ट्री है. ICF के फर्स्ट क्लास एसी कोच में लोगों की संख्या कम होती है और उसमें छोटे-छोटे केबिन बने होते हैं, इसलिए उसमें 6.7 टन का एक एसी लगाया जाता है. जबकि सेकंड एसी कोच में यात्रियों की संख्या बढ़ जाती है, इसलिए उसमें 5.2 टन के दो एसी (Train AC Coach Capacity) लगा जाते हैं. वहीं  थर्ड एसी कोच में 72 सीटें होती हैं, इसलिए उसमें कूलिंग के लिए 7-7 टन के 2 दो एसी लगाए जाते हैं.


LHB कोच में लगे एसी की क्षमता


भारतीय रेलवे (Indian Railways) में इस्तेमाल होने वाले दूसरे एसी डिब्बों का नाम LHB कोच हैं. LHB यानी लिंक हॉफमैन बुश कोच बेहद तेज स्पीड में दौड़ने वाली शताब्दी और राजधानी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों में लगाए जाते हैं. ये ICF कोच की तुलना में ज्यादा बेहतर तरीके से कूलिंग करते हैं और इन पर गाड़ी की स्पीड का भी कोई असर नहीं होती. इन कोचों में 7-7 टन के दो एसी (Train AC Coach Capacity) लगाए जाते हैं, जिससे पूरा कोच बेहतरीन ठंडक का अहसास देता है. 


जानें ICF और LHB का अंतर


अब आपको ट्रेन के डिब्बों में लगाए जाने वाले एसी की क्षमता के बारे में पता चल गया होगा. अब हम आपको ICF और LHB का अंतर भी थोड़ा विस्तार से बता देते हैं. असल में ICF देश की सबसे पुरानी रेलवे कोच बनाने वाली कंपनी है. जबकि LHB जर्मन कंपनी की तकनीक है, जिसके आधार पर भारत में इसके डिब्बों का निर्माण किया जाता है. ICF की तुलना में LHB ज्यादा आधुनिक है, इसलिए सुपर स्पीड में चलने वाली ट्रेनों (Indian Railways) में इनका ही इस्तेमाल किया जा रहा है. 


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