नई दिल्ली: Health Insurance: क्या आपको अपनी हेल्थ पॉलिसी (Health Insurance Policy) का नाम पता है, क्या आपको पता है कि आपकी पॉलिसी कब एक्सपायर हो रही है या आपकी पॉलिसी पर नो क्लेम बोनस (No Claim Bonus) कितना हो गया है. ज्यादातर लोगों का जवाब नहीं में होगा. बीमाधारक (Policyholders) को अपनी हेल्थ पॉलिसी के बारे में समय-समय पर जानकारी मिलती रहे और वो उस पॉलिसी की सभी जानकारियों से वाकिफ रहे इसके लिए इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI ने बीमा कंपनियों को कुछ नियम लागू करने के लिए कहा है. 


बीमा कंपनियों को IRDAI का निर्देश


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आमतौर पर पॉलिसी एजेंट बीमाधारक को पॉलिसी बेच देता है, लेकिन समय समय पर उसके बार में जानकारी साझा नहीं करता. कई बार बीमाधारक को पता ही नहीं चलता कि उसकी पॉलिसी की ड्यू डेट भी निकल गई है. इन्हीं सब दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI ने सभी जनरल इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों को निर्देश दिए है कि पॉलिसी से जुड़ी सभी डिटेल्स सरल भाषा में पॉलिसी होल्डर्स को साझा करनी होंगी .कंपनियों को नए नियम जल्दी से जल्दी  लागू करने के लिए कहा गया है.


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साल में दो बार जानकारियां साझा करनी होंगी 


बीमाधारक अपनी पॉलिसी को लेकर अपडेट रहे, इसलिए उसे साल में दो बार उसकी पॉलिसी के बारे में जानकारी साझा करने की जिम्मेदारी बीमा कंपनी की होगी. पहली बार बीमाधारक को उसकी पॉलिसी रीन्यूअल के एक महीना पहले ये जानकारी देनी होगी कि उसकी पॉलिसी के रीन्यूअल का वक्त आ गया है. ताकि बीमाधारक के पास रीन्यूअल के लिए पैसे का इंतजाम करने का वक्त हो या किसी और परेशानी में हो तो खुद को तैयार कर सके. दूसरी बार साल में कभी भी बीमाधारक से संपर्क कर जानकारी साझा की जा सकती है. 


सम-अश्योर्ड की जानकारी देनी होगी 


IRDAI के आदेश के मुताबिक बीमा कंपनियों को हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़ी सभी जानकारियां बीमाधारक को बतानी होंगी, जैसे क्लेम सेटलमेंट के बाद बचे हुए सम-अश्योर्ड के बारे में जानकारी देनी होगी. जैसे मान लीजिए किसी पॉलिसी पर 5 लाख का सम-अश्योर्ड है, बीमाधारक ने उसमे से 3 लाख का इस्तेमाल कर लिया तो बाकी 2 लाख का सम-अश्योर्ड अब भी बचा है, ये जानकारी बीमाधारक को देना जरूरी होगा, ताकि अगली बार उसका इस्तेमाल कर सके. बीमाधारक को ये सभी जानकारियां मैजेस, ई-मेल या किसी भी दूसरे तरीके से दी जा सकती है. 


बोनस के बारे में बताना होगा 


अगर बीमाधारक को पॉलिसी पर कई सालों से बोनस मिल रहा है, तो उसे इस बोनस के बारे में भी बताना होगा, ताकि वक्त पड़ने पर उसका इस्तेमाल कर सके. बीमाधारक को ये भी जानकारी साझा करनी होगी कि उसकी पॉलिसी पर कोई क्लेम सेटलमेंट हुआ है तो अब उसका स्टेटस क्या है. 


रीन्यूअल प्रीमियम की जानकारी साझा करनी होगी 


जरूरत के वक्त बीमाधारक कैसे बीमा कंपनी से संपर्क कर सकता है, इसके लिए उसे कस्टमर केयर नंबर, ईमेल जैसी जानकारियों से अपडेट रखना होगा. उसको पॉलिसी रीन्यूअल से पहले ये बताना होगा कि उसका अब प्रीमियम कितना है. बीमाधारक को पॉलिसी को लेकर ग्रेस पीरियड की भी जानकारी होनी चाहिए ताकि उसकी पॉलिसी लैप्स न हो. 


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