IRDAI New Rules: अगर आपने क‍िसी कंपनी से लाइफ इंश्‍योरेंस पॉल‍िसी करा रखी है तो यह खबर आपके काम की है. इंश्‍योरेंस रेग्‍युलेटर इरडा (IRDAI) ने एक महीने पहले न‍ियमों में बदलाव का ऐलान क‍िया था. हालांक‍ि इंश्‍योरेंस कंपन‍ियों को इरडा की तरफ से लागू क‍िये गए नए न‍ियम पसंद नहीं थे. कंपन‍ियों की मंशा थी क‍ि पुराने न‍ियमों को ही बहाल क‍िया जाए. लेकिन इरडा (IRDAI) ने नियमों में क‍िसी भी प्रकार का बदलाव करने से इनकार कर द‍िया है. नए नियमों के अनुसार, यद‍ि आप किसी भी कारण से लाइफ इंश्‍योरेंस पॉलिसी को बीच में ही बंद करते हैं तो आपको पहले से ज्यादा पैसा वापस मिलेगा. पैसा वापस म‍िलने के इस प्रोसेस को स्पेशल सरेंडर वैल्यू (SSV) कहा जाता है.


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कंपनी के मुनाफे पर असर पड़ने का अनुमान


HDFC Life के एक प्रवक्ता ने मनीकंट्रोल से बातचीत में कहा क‍ि पॉलिसीहोल्‍डर को जल्दी पॉलिसी बंद कराने पर पहले से ज्‍यादा पैसा मिलने से कंपनी के मुनाफे पर करीब 100 बेस‍िस प्‍वाइंट का असर पड़ने का अनुमान है. लेक‍िन हम इस कमी को ग्राहकों को मिलने वाले फायदों से समझौता किये ब‍िना दूर करने में सक्षम होंगे. हमारा मानना है कि नए नियम लंबे समय में पूरी इंश्‍योरेंस इंडस्‍ट्री की ग्रोथ में मददगार साबित होंगे. सूत्रों का कहना है क‍ि काफी संख्या में लोग शुरुआती सालों में ही अपनी पॉलिसी सरेंडर कर देते हैं. इसल‍िए यह नया न‍ियम ऐसे लोगों के ल‍िए बहुत फायदेमंद है. हालांकि बाद के सालों में सरेंडर कराने पर ज्यादा पैसा मिलेगा, लेकिन वो रकम शुरुआती सालों के मुकाबले कम होगी.


कंपन‍ियों का तर्क, भव‍िष्‍य के ल‍िए होती हैं इंश्‍योरेंस पॉल‍िसी
इंश्‍योरेंस कंपनियों को रेग्‍युलेट करने वाली संस्था IRDAI का कहना है कि यद‍ि आप बीच में ही पॉलिसी बंद कराते हैं तो आपको मिलने वाला पैसा (SSV) कम से कम उतना होना चाहिए, जितना पैसा भविष्य में मिलने वाले सम इंश्‍योर्ड और बाकी फायदों को मिलाकर आज के हिसाब से बनता है. बीमा कंपनियां इस नियम के खिलाफ थीं. कंपन‍ियों का तर्क था क‍ि इंश्‍योरेंस जल्दी पैसा निकालने के लिए नहीं बल्कि भविष्य के लिए सेव‍िंग करने के ल‍िए होता है.


कंपनियों को ज्यादा पैसा रिजर्व में रखना होगा
एक प्राइवेट इंश्‍योरेंस कंपनी के CEO का कहना है कि नए नियमों की वजह से कंपनियों को ज्यादा पैसा रिजर्व में रखना होगा. इस न‍ियम के बाद भविष्य के दावों के लिए अलग से पैसा जमा करके होगा. इसके लिए कंपन‍ियों को ज्‍यादा पूंजी की जरूरत पड़ेगी. उनका मानना है कि गलत बिक्री होने पर पूरा प्रीमियम वापस करना बेहतर था बजाय इसके कि लोगों को बीच में पॉलिसी छोड़ने पर ज्यादा पैसा द‍िया जाए. उन्होंने यह भी बताया क‍ि शुरुआत में जो इंश्‍योरेंस फीस लगती है वो काफी ज्यादा होती है और एजेंट को दिए गए कमीशन की भरपाई भी मुश्किल होती है.


इसके अलावा, इंश्‍योरेंस रूल्‍स बनाने वाली संस्था ने अब लाइफ इंश्‍योरेंस कंपनियों के लिए वही नियम लागू कर दिए हैं जो पहले से ही हेल्‍थ और जनरल इंश्‍योरेंस कंपनियों पर लागू थे. यानी अब हर लाइफ इंश्‍योरेंस कंपनी को अपने ग्राहकों को एक ग्राहक सूचना पत्र (CIS) देना होगा. इस लेटर में पॉलिसी से जुड़ी सभी जानकारी आसान भाषा में लिखी होगी, जैसे कि इंश्‍योरेंस की शर्तें, फायदे, प्रीमियम राशि और अन्य जरूरी जानकारी.