Infosys Narayana Murthy :  हम जिस सोसाइटी में रह रहे हैं, वहां टॉयलेट साफ करना छोटा या फिर हीन काम समझा जाता है. उन लोगों को लोग हीन और तुच्छ नजरिए से देखते हैं, जो टॉयलेट साफ करने का काम करते हैं. आप कल्पना भी नहीं कर सकते कि अमीरों की फैमिली में टॉयलेट परिवार का कोई सदस्य खुद करता होगा, लेकिन इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति (Narayana Murthy)  ने लोगों की इस सोच को बदल दिया. अपने हालिया इंटरव्यू में उन्होंने जो कहा, वो अगर लोग मान लें तो दुनिया में बहुत कुछ बदल जाएगा. 78 साल के अरबपति कारोबारी, इंफोसिस के फाउंडर, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के ससुर नारायण मूर्ति अपना टॉयलेट खुद साफ करते हैं.   


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खुद टॉयलेट साफ करते हैं मूर्ति 


एनडीटीवी के साथ इंटरव्यू के दौरान नारायण मूर्ति ने खुद इस बात का खुलासा किया कि वो अपना टॉयलेट खुद साफ करते हैं. आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि आखिर इतना अमीर इंसान अपना टॉयलेट खुद क्यों साफ करता है. आपने मन में सवाल उठेगा कि इतने पैसे वाला आदमी, जो सैकड़ों नौकर रख सकता है, आखिर वो खुद क्यों अपना टॉयलेट साफ करता है.  इसका जवाब भी मूर्ति ने दिया. अरबपति होने के बावजूद टॉयलेट साफ करने के पीछे बच्चों को जिंदगी की सबसे बड़ी सीख देना है.  वो सीख, जो उन्हें अमीर-गरीब के बीच के फर्क को खत्म करने में मदद करें. खुद को दूसरे से ऊंचा समझने की गलती वो न करें. 


किसी को छोटा न समझने की सीख 


इंटरव्यू में नारायण मूर्ति ने कहा कि बच्चों के मन में दूसरों के प्रति सम्मान की भावना को सीखाने के लिए वो ऐसा करते हैं. उन्होंने कहा कि ये दूसरों का सम्मान करने का सबसे अच्छा तरीका है. दरअसल हम जिस सोसायटी में रहते हैं, वहां माना जाता है कि जो लोग आपका टॉयलेट साफ करते हैं वो आपसे छोटे होते हैं. बच्चों को ये समझाने के लिए कि कोई छोटा नहीं होता, इसी बात को समझाने के लिए वो ऐसा करते हैं. उन्होंने ये समझाने की कोशिश की, जो दुनिया में सब एक समान है, किसी को अधिक अधिकार मिल गए है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि दूसरा हीन है.  
 
बर्थडे पर पैसे बचाने की सलाह  


इंटरव्यू में सुधा मूर्ति ने एक किस्सा बताते हुए कहा कि जब उनका बेटा रोहन अपना बर्थडे सेलिब्रेट करने की जिद करता था, वो उन्हें पैसे बचाने की सलाह देते थे. बच्चों को जिंदगी की हकीकत से रुबरू करवाने के लिए सुधा मूर्ति अपने दोनों बच्चों को अपने साथ काम पर ले जाती थी, ताकि वो देख सकें कि पैसे कमाने के लिए लोग कितनी मेहनत करते हैं. वो बच्चों को उन बच्चों से मिलवाती, जो पढ़ने-लिखने के लिए संघर्ष कर रहे थे. उन्होंने अपने बेटे को समझाया कि बर्थ मनाने की बजाय अगर तुम इन बच्चों को पैसे इकट्ठा करके दिया जाए तो उनकी जिंदगी बदल सकती है.  


मिडिल क्लास से इंफोसिस के फाउंडर बनने तक का सफर  


साल 1946 में मैसूर, कर्नाटक में जन्मे नारायण मूर्ति साधारण मिडिल क्लास में पले-बढ़े थे. शुरुआत से ही पढ़ने-लिखने में तेज मूर्ति ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बैचलर और आईआईटी कानपुर से मास्टर डिग्री हासिल की. नौकरी में मन नहीं लग पा रहा था तो पत्नी से 10000 रुपये उधार लेकर उन्होंने साल 1981 में इंफोसिस की नींव रखी.  किराए के कमरे में शुरू हुई इंफोसिस आज  6,90,000 करोड़ रुपये की कंपनी बन चुकी है. नारायण मूर्ति ने इंफोसिस के बोर्ड में कभी भी अपने परिवार को शामिल नहीं किया.  सुधा मूर्ति इंफोसिश फाउंडेशन की चेयरपर्सन हैं. हाल ही में हफ्ते में 70 घंटे काम को लेकर नारायण मूर्ति के बयान की सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हुई. कोई पक्ष में बोल रहा था तो कोई उनका विरोध कर रहा था.  अगर नारायण मूर्ति के नेटवर्थ की बात करें तो फोर्ब्स के मुताबिक उनका नेटवर्थ 4.8 अलब डॉलर है.