नई दिल्ली: एनसीएलएटी (NCLT) ने कर्ज में डूबी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के प्रमुख कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) समेत अन्य वित्तीय संस्थानों की सोमवार को खिंचाई की. न्यायाधिकरण ने कहा कि बैंकों ने दूरसंचार कंपनी की संपत्ति रिलायंस जियो को बेचकर 37,000 करोड़ रुपये प्राप्त होने को लेकर गलत एहसास दिलाया. NCLT के चेयरमैन न्यायाधीश एस जे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने रिलायंस कम्युनिकेशन को कर्ज दे रखे बैंकों खासकर एसबीआई को फटकार लगायी और यह पूछा कि इसके लिये उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए.


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पीठ ने कहा, ‘‘आपने जो बातें कही, उसे पूरा करने में विफल रहे. संयुक्त कर्जदाता समूह विफल रहा है. कोई बिक्री नहीं हुई.’’ पीठ के अनुसार कर्जदाताओं ने संपत्ति बिक्री के जरिये करीब 37,000 करोड़ रुपये की वसूली को लेकर एनसीएलएटी को ‘सब्जबाग’ दिखाये लेकिन कुछ नहीं हुआ. 



एनसीएलटी ने कहा, ‘‘आपने आरकॉम के साथ बैठकर तालियां बजायी और दावा किया कि आप रिलायंस जियो को संपत्ति बेचकर करीब 37,000 करोड़ रुपये जुटा लेंगे...पहले आपने प्रतिदिन करोड़ रुपये के नुकसान की बात कही थी.’’ न्यायाधिकरण ने कहा कि संपत्ति बिक्री से राशि प्राप्त करने में विफल रहने के बाद कर्जदाता अब कंपनी को आयकर रिफंड से प्राप्त 260 करोड़ रुपये की वसूली में लगे हैं.


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एनसीएलएटी आर कॉम की याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें उस पर चार फरवरी को लगायी गयी रोक को हटाने का आग्रह किया गया है. हालांकि, उसके कर्जदाता एरिक्सन को 550 करोड़ रुपये देने के लिये आयकर रिफंड जारी करने की अर्जी का विरोध कर रहे हैं. एनसीएलएटी ने कर्जदाताओं से पूछा कि आखिर उच्चतम न्यायालय के आदेश के तहत क्यों नहीं आयकर रिफंड जारी करने के निर्देश दिये जाने चाहिए. एनसीएलएटी ने सभी कर्जदाताओं से इस बारे में दो पृष्ठ का जवाब देने को कहा. मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को होगी.