कंपनी अब सिर्फ उन्हीं परियोजनाओं पर ध्यान दे रही है जो एनसीएलटी में दिवाला एवं ऋणशोधन प्रक्रिया में होंगी.
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नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनटीपीसी की नजर संकट से जूझ रही बिजली परियोजनाओं को खरीदने पर है. एनटीपीसी ने फैसला किया है कि वह उन्हीं बिजली परियोजनाओं को खरीदेगी जो राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के तहत दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता प्रक्रिया से गुजर रही हैं. एनटीपीसी का अनुमान है कि एनसीएलटी के तहत अब तक जो सौदे हुये हैं वह काफी बेहतर रहे हैं. एनसीएलटी में दिवाला एवं ऋणशोधन प्रक्रिया से गुजर रही परियोजनाओं के सौदे सुरक्षित ऋणदाताओं की ओर से 70 प्रतिशत तक या इससे भी अधिक सस्ते हो चुके हैं. एनसीएलटी में जारी मामलों पर सुरक्षित ऋणदाताओं के पास फैसला लेने का अधिकार होता है. हालांकि, असुरक्षित ऋणदाताओं के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है.
इससे पहले एनटीपीसी की योजना बैंक कर्ज में फंसी दबाव वाली बिजली परियोजनाओं के अधिग्रहण की थी. इसके लिये वह बातचीत और एनसीएलटी में बोली प्रक्रिया के तहत उनका अधिग्रहण करना चाह रही थी. सरकार भी इन परियोजनाओं से जुड़े बैंक कर्ज के मुद्दे को सुलझाने के पक्ष में थी. मामले से जुड़े एक करीबी सूत्र ने बताया, ‘‘एनटीपीसी ने संकटग्रस्त बिजली परियोजनाओं का अधिग्रहण कर विस्तार की अपनी योजना को धीमा करने का निर्णय लिया है. कंपनी अब सिर्फ उन्हीं परियोजनाओं पर ध्यान दे रही है जो एनसीएलटी में दिवाला एवं ऋणशोधन प्रक्रिया में होंगी. इससे एनटीपीसी सस्ते दाम पर परियेाजनाओं का अधिग्रहण कर सकेगी.’’ एनटीपीसी प्रवक्ता ने इस बारे में पूछे जाने पर कोई जवाब नहीं दिया.
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एनटीपीसी की अपनी बिजली उत्पादन क्षमता को 6,000 मेगावाट तक बढ़ाने की योजना है. इसके लिये उसने पहले से चल रही बिजली परियोजनाओं के अधिग्रहण की योजना बनाई थी. कंपनी का मानना है कि नया संयंत्र लगाने के लिये समय और काफी संसाधनों की जरूरत होती है. बहरहाल, इस लक्ष्य को पाने के लिये अब तक कुछ ज्यादा नहीं किया गया है.
कैबिनेट सचिव पी.के. सिन्हा के नेतृत्व वाली एक उच्चस्तरीय समिति की नवंबर 2018 में जारी रिपोर्ट के अनुसार 40,130 मेगावाट की 34 विद्युत परियोजनायें हैं जो दबाव में है. इन परियोजनाओं में से 24,405 मेगावाट क्षमता की तैयार हो चुकीं हैं जबकि 15,725 मेगावाट क्षमता निर्माणाधीन है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 8,820 मेगावाट क्षमता की आठ परियोजनाओं की समस्या का समाधान कर लिया गया है. समिति की सिफारिशों का वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह द्वारा मूल्यांकन किया जा रहा है.
(इनपुट-भाषा)