नई दिल्ली: नोटबंदी के करीब डेढ़ साल बाद एक साथ कई राज्यों में खाली पड़े एटीएम नोटबंदी के दिनों की याद दिला रहे हैं. देश के कई हिस्सों जैसे आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, बिहार, मध्य प्रदेश में लोगों को कैश की कमी से जूझना पड़ रहा है. हालांकि, सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया डैमेज कंट्रोल मोड में आ गए हैं. लोग कैश क्रंच की वजह जानना चाहते हैं और सरकार का कहना है कि नोटों की मांग में अप्रत्याशित वृद्धि से समस्या आई है. हालांकि, अब तक सरकार की तरफ से कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया है. कई बैंक अधिकारियों का कहना है कि 2000 के नोट बैंकों में वापस नहीं आ रहे हैं. यह भी अफवाह है कि कर्नाटक चुनावों में कैश होर्डिंग से संकट खड़ा हुआ है.


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कर्नाटक चुनाव के लिए तो नहीं हो रही जमाखोरी?
एक थियोरी और चल रही है, जिसके चर्चे खासकर सोशल मीडिया पर हैं. कहा जा रहा है कि राजनीतिक दल और उनके समर्थक अगले महीने कर्नाटक चुनावों के लिए कैश की होर्डिंग कर रहे हैं. दो हजार रुपए के नोटों की सप्लाई घटने, चुनाव से पहले कर्नाटक में कैश की डिमांड बढ़ने और कैश क्रंच को लेकर सोशल मीडिया पर अटकलों का बाजार गर्म होने के कारण सामान्य से ज्यादा निकासी से देश के कई हिस्सों में एटीएम सूख गए हैं.


अचानक इतनी किल्लत क्यों?
देश में नकदी संकट पर बैंकिंग एक्‍सपर्ट का मानना है कि नोट की छपाई ओर सप्‍लाई को लेकर कुछ दिक्‍कते हैं, लेकिन यह इतना बड़ा कारण नहीं दिखता, जिससे कैश की किल्‍लत अचानक इतनी बढ़ जाए. सूत्रों की मानें तो अगले कुछ महीनों में पांच राज्‍यों में विधानसभा चुनाव हैं. इसके अलावा 2019 में देश का आम चुनाव है. ऐसे में चुनाव की तैयारी में लोग बड़े पैमाने पर कैश जमा कर रहे हैं. चुनाव में बड़े पैमाने पर कैश का इस्‍तेमाल होता है. ऐसे यह तर्क काफी मजबूत लगता है कि चुनावी साल में राजनीतिक दल और नेता चुनाव में खर्च के लिए कैश का इंतजाम कर रहे हैं.


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चुनावी खर्च के लिए कैश का इंतजाम
सूत्रों का कहना है कि चुनावी साल में कैश की छपाई और सप्‍लाई को लेकर कुछ दिक्‍कतें हो सकती हैं. लेकिन, कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए कैश का सर्कुलेशन कम करने का तर्क सही नहीं लगता है. ऐसे में चुनाव के लिए पहले से कैश की होडिंग की जा रही है.


अभी से क्यों हो रही है जमाखोरी?
एक्सपर्ट्स की मानें तो पिछले कुछ समय से या यूं कहें नोटबंदी के बाद हर कोई इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के रडार पर है. चुनावी चंदे से लेकर चुनाव में होने वाले खर्च पर भी आईटी विभाग नजर रखता है. ऐसे में चुनाव के समय इतने बड़े पैमाने पर कैश का इंतजाम करना आसान नहीं होगा. इसलिए एक बार में पैसों का इंतजाम करने के बजाए पहले से थोड़ा-थोड़ा जमा करके इसकी तैयारी चल रही है. थोड़ी-थोड़ी जमाखोरी से जांच एजेंसियों को ऐसे लोगों को ट्रैक करना आसान नहीं होगा.


कहां 'गायब' है 2000 रुपए का नोट?
आर्थिक मामलों के सचिव एससी गर्ग ने कबूल किया कि इस वक्त 2000 रुपए का नोट गायब हैं. हालांकि, उन्होंने काला धन जमा होने की आशंका को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, 'अभी सिस्टम में 2000 रुपए के 6 लाख 70 हजार करोड़ नोट हैं. यह संख्या पर्याप्त से ज्यादा है. हमें भी पता है कि 2000 रुपए के नोट सर्कुलेशन में घटे हैं. इसकी कोई जांच तो नहीं कराई है, लेकिन अनुमान यह है कि बड़े नोट जमा करने में आसानी होती है. इसलिए लोग बचत की रकम 2000 रुपए के नोटों में ही जमा कर रहे हैं.'


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ब्लॉक हुई एटीएम की कैसेट
एससी गर्ग के मुताबिक, 'एटीएम में हम 2000 रुपये के जितने भी नोट डालते हैं, वे निकल जाते हैं, लेकिन फिर काउंटर पर नहीं लौटते. लिहाजा 2000 रुपये का स्टॉक कम होने के साथ एटीएम में कैसेट खाली चल रहे हैं. इसकी कपैसिटी करीब 50 लाख रुपए की होती है, जो अब ब्लॉक हो गई है.' एटीएम में चार कैसेटों में करीब 65 लाख रुपए भरे जा सकते हैं. एक कैसेट में 2000 रुपए के नोट, दो में 500 रुपए और एक में 100 रुपए के नोट भरे जाते हैं. बैंकरों का दावा है कि 2000 रुपए के नोटों की तंगी के कारण एटीएम की 45 पर्सेंट कपैसिटी का उपयोग ही नहीं हो पा रहा है.


आरबीआई क्यों और क्या दे रहा सफाई?
कैश की किल्‍लत के बीच रिजर्व बैंक ने बयान जारी करते हुए साफ किया कि कैश की कोई कमी नहीं है और आरबीआई के करंसी चेस्ट्स में पर्याप्त नकदी मौजूद है. आरबीआई ने बताया कि नोटों को छापने की प्रक्रिया भी तेज कर दी गई है. हालांकि, कुछ इलाकों में कैश को पहुंचाने में आने वाली दिक्कतों के कारण नकदी संकट से निपटने में कुछ दिन लग सकते हैं. रिजर्व बैंक ने कहा कि कुछ हिस्सों में ATMs में कैश पहुंचाने में कुछ समय लग सकता है. साथ ही कई ATMs मशीनों में नए नोटों के लिए रीकैलिब्रेशन की प्रक्रिया अभी भी जारी है.