नई दिल्ली : स्विटजरलैंड, ब्रिटेन और स्पेन की सरकारों ने कालेधन से जुड़े किसी भी खाते के बारे में कोई ब्यौरा उपलब्ध नहीं कराया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज संसद को यह जानकारी दी।


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राज्य सभा को दिये एक लिखित प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा, ‘स्विटजरलैंड, ब्रिटेन और स्पेन ने कालाधन खाते के बारे में कोई ब्यौरा नहीं दिया। उन्होंने कहा, हालांकि, खास मामलों में जहां अनुरोध किया गया उन देशों ने जरूरी सूचना उपलब्ध कराई है जिनके साथ भारत की कर संधि है। जेटली ने कहा कि देश के भीतर और विदेशों में रखे गये कालेधन के बारे में आधिकारिक तौर पर कोई अनुमान नहीं है। इस मुद्दे पर सरकार तीन संस्थानों (एनआईपीएफपी, एनसीएईआर और एनआईएफएम) की रिपोर्टों की जांच परख कर रही है।


वर्ष 2012 में देश से बाहर ले जाये गये कालेधन के बारे में पूछे गये एक अन्य सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा छह लाख करोड़ रपये का आंकड़ा ग्लोबल फाइनेंसियल इंटिग्रिटी की रिपोर्ट पर आधारित है। यह वाशिंगटन स्थित संगठन है।


सरकार ने मार्च 2011 को नेशनल इंस्टीट्यूटी ऑफ पब्लिक फाइनेंस एण्ड पॉलिसी (एनआईपीएफपी), नेशनल काउंसिल ऑफ एपलायड इकनोमिक रिसर्च (एनसीएईआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंसियल मैनेजमेंट (एनआईएफएम) को देश के भीतर और बाहर बिना हिसाब किताब वाली आय का अनुमान लगाने को कहा था।


जेटली ने कहा कि इन संस्थानों की रिपोर्ट मिल गई है और यह सरकार इसका परीक्षण कर रही है। उन्होंने कहा कि कालेधन की समस्या से निपटने के लिये सरकार ने अनेक कदम उठाये हैं और विदेशों में रखे कालेधन की समस्या से निपटने के लिये एक व्यापक विधेयक लोकसभा में पेश किया है।


जेटली ने कहा अघोषित विदेशी आय और संपत्ति (कराधान आरोपण) विधेयक में कालेधन से निपटने के लिये कड़े प्रावधान किये गये हैं। इसमें कर योग्य राशि के तीन गुणा तक जुर्माना लगाने और मुकद्दमा चलाने का प्रावधान है जिसमें 10 साल तक की कड़ी सजा हो सकती है।


कालेधन पर अंकुश के लिये एक और विधायी उपाय किया गया है जिसमें अचल संपत्ति की खरीद के लिये अग्रिम के तौर पर 20,000 रुपये अथवा इससे अधिक राशि की नकद प्राप्ति पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान बजट में किया गया है।


उन्होंने कहा कि सरकार ने इसके अलावा एक लाख रुपये से अधिक के सामान की बिक्री अथवा खरीद पर स्थायी खाता संख्या (पैन) का उल्लेख करना भी अनिवार्य किया है। जेटली ने कहा कि इसके अलावा सरकार ने विदेशों में रखे कालेधन से जुड़े मुद्दे की जांच के लिये मई 2014 में विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया है।


उन्होंने कहा कि सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सीमा-पार कर चोरी और कर धोखाधड़ी रोकने के कर अनुपालन प्रयासों में शामिल हुई है। इसके लिये कई उपाय किये जा रहे हैं। कालाधन यानी अघोषित संपत्ति के बारे में जानकारी हासिल करने के लिये दोहरे कराधान से बचने की संधि (डीटीएए) पर फिर से बातचीत करने के अलावा गैर-सरकारी स्रोतों की संभावनायें भी तलाशी जा रही है।