जम्मू-कश्मीर के स्थानीय महिलाएं अब अपने तैयार स्थानीय उत्पाद Paytm के जरिए बेच सकेंगे. खादी ग्रामोद्योग व Paytm के बीच नए करार के तहत यह संभव हो पाया है. उम्मीद की जा रही है कि इस नई पहल के जरिए कश्मीर के स्थानीय महिलाओं को रोजगार मिलेगा और साथ ही महिला सशक्तिकरण भी होगा. शुरुआत में कश्मीर में बने रूमाल बेचे जाएंगे. इसके बाद अन्य उत्पादों को भी Paytm के जरिए बेचेने का प्लान है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

रुमाल खरीदने का मतलब आतंकवाद पर चोट है - नितिन गडकरी
रोड ट्रांसपोर्ट और हाईवे और एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक-"जम्मू कशमीर में आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र की महिलाओं के हाथ का बना एक रुमाल खरीदने का मतलब आतंकवाद पर चोट है,आपके रुमाल खरीदने से रोजगार मिलेगा, आतंकवाद की तरफ जाने के कई कारणों में से सोशियो इकोनोमिक कारण भी है वहां रोज़गार मिलेगा तो लोग आतंकवाद की तरफ नहीं जाएंगे. पहले लोग वहां जमीन नहीं खरीद पाते थे पर 370 के बाद स्थिति बदली है."


साल में 5 करोड़ रूमाल बेचने का है लक्ष्य
खादी ग्रामोद्योग चेयरमैन विजय कुमार सक्सेना ने कहा कि खादी के कपड़े वाले हाथों से बने 2 करोड़ रुमाल पेटीएम के ज़रिए बेचे जाएंगे. जबकि एक साल में कुल 5 करोड़ रूमाल देश भर में बेचे जाएंगे. सक्सेना ने आगे कहा कि जम्मू कश्मीर में पिछले साल प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत 86 हज़ार लोगों को रोज़गार दिया गया है. वहां कुल 120 सेंटर चल रहे हैं. शहद और पॉटरी के लिए बहुत अच्छा काम हुआ है. अकेले नगरौटा सेंटर में 150 महिलाएं काम कर रही है यहां साल में 5 करोड़ रुमाल में बनाया जाएगा . इसमें 1 करोड़ 25 लाख मीटर कपड़ा और 25 लाख किलो रुई लगेगी. वहीं 44 लाख मानव दिनों का रोज़गार मिलेगा कारीगरों को 88 करोड़ रुपए दिए जाएंगे.


ये वीडियो भी देखें: