कम नहीं हो रहा पाकिस्तान का मुश्किल दौर, आईएमएफ से मांगा एक और राहत पैकेज
IMF: पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब के नेतृत्व में एक हाई लेवल डेलीगेट इस समय आईएमएफ/ वर्ल्ड बैंक की सालाना वसंत बैठकों में भाग लेने के लिए वाशिंगटन में है.
Pakistan Financial Crisis: वित्तीय संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से 6-8 अरब डॉलर का एक और राहत पैकेज मांगा है. मीडिया रिपोर्ट में शनिवार को बताया गया कि पाकिस्तान ने जलवायु वित्तपोषण के जरिये राहत पैकेज जारी करने का औपचारिक अनुरोध किया है. पाकिस्तान ने विस्तारित फंड सुविधा (EFF) के तहत अगले राहत पैकेज के लिए अगले महीने आईएमएफ (IMF) से समीक्षा मिशन भेजने का भी अनुरोध किया है.
जियो न्यूज ने वाशिंगटन से बताया कि मई 2024 में अगले कार्यक्रम की रूपरेखा पर आम सहमति बनने के बाद ही नए पैकेज का सटीक आकार और समय-सीमा तय की जाएगी. पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब के नेतृत्व में एक हाई लेवल डेलीगेट इस समय आईएमएफ/ वर्ल्ड बैंक की सालाना वसंत बैठकों में भाग लेने के लिए वाशिंगटन में है. इस बीच, औरंगजेब ने विश्व बैंक को बताया कि प्रमुख क्षेत्रों में सुधार एजेंडा पूरी तरह से लागू होने के साथ, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था 2047 तक 3,000 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने की क्षमता रखती है.
महंगाई दर 26 प्रतिशत पर पहुंच गयी
इससे पहले अप्रैल के पहले हफ्ते में पाकिस्तान में महंगाई दर 26 प्रतिशत पर पहुंच गयी है. वर्ल्ड बैंक ने पाकिस्तान की ग्रोथ पर अपनी छमाही रिपोर्ट में संकेत दिया कि देश करीब-करीब सभी इकोनॉमिक टारगेट को हासिल करने से चूक सकता है. रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान अपने प्राइमरी बजट के टारगेट से भी पीछे रह सकता है. इतना ही नहीं पाकिस्तान लगातार तीन साल तक घाटे में रह सकता है. यह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की शर्तों के उलट है. मुद्रा कोष ने अनिवार्य रूप से सरप्लस की शर्त रखी हुई है.
गरीबी उन्मूलन के प्रयास पर्याप्त नहीं
रिपोर्ट के लेखक सैयद मुर्तजा मुजफ्फरी ने कहा था कि हालांकि रीस्टोरेशन व्यापक है. लेकिन यह अभी शुरुआती चरण में है. गरीबी उन्मूलन के जो प्रयास हो रहे हैं वे पर्याप्त नहीं हैं. इसमें कहा गया है कि आर्थिक वृद्धि मामूली 1.8 प्रतिशत पर स्थिर रहने का अनुमान है. करीब 9.8 करोड़ पाकिस्तानी पहले से ही गरीबी रेखा के नीचे हैं. इसके साथ गरीबी की दर करीब 40 प्रतिशत पर बनी हुई है. रिपोर्ट में गरीबी रेखा के ठीक ऊपर रह रहे लोगों के नीचे आने के जोखिम को बताया गया है. इसके तहत एक करोड़ लोगों के गरीबी रेखा के नीचे आने का जोखिम है.