मुंबई : कीटनाशकों का बाजार वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान 12-15 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 33,000 करोड़ रुपए पर पहुंच जाएगा हालांकि उद्योग सरकार की गलत नीतियों के कारण भारी नुकसान से जूझ रहा है। यह बात कीटनाशक उद्योग संगठन के शीर्ष अधिकारी ने कही।


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पेस्टीसाइड्स मैन्यूफैक्चर्स एंड फार्म्यूलेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (पीएमएफएआई) के अध्यक्ष प्रदीप दवे ने कहा, ‘अनुमान है कि कीटनाशक उद्योग करीब 27,000 करोड़ रुपए का है जिसमें वित्त वर्ष 2013-14 के दौरान घरेलू बाजार की हिस्सेदारी 15,000 करोड़ रुपए और निर्यात की 12,000 करोड़ रुपए है।’ उन्होंने कहा, ‘उद्योग को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2015-16 में इसमें 12-15 प्रतिशत वृद्धि दर्ज होगी जिसमें घरेलू बाजार 18,000 करोड़ रुपए और निर्यात बाजार 15,000 करोड़ रुपए का होगा।’ दवे ने कहा कि हालांकि सरकार की गलत नीतियों के कारण उद्योग को पिछले तीन साल के दौरान 15,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।


उन्होंने कहा, ‘सरकार बहुराष्ट्रीय कंपनियों के गैर-पंजीकृत कीटनाश फाम्यूलेशन के आयात को समर्थन दे रही है जो भारतीय किसानों के लिए खतरा है।’ उन्होंने कहा, ‘कृषि मंत्रालय भारतीय क्षेत्र को समान मौका प्रदान नहीं करता जिससे बहुराष्ट्रीय कंपनियों का एकाधिकार सुनिश्चित हुआ है।’ उन्होंने कहा कि भारतीय कीटनाशक उद्योग पिछले कुछ साल से सख्त नीति के दौर गुजर रहा है।