India Budget 2024: मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट मंगलवार को पेश होने जा रहा है. लोकसभा चुनावों में बीजेपी के अपने दम पर बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाने का सबसे बड़ा कारण किसानों की नाराजगी माना जाता रहा है. हालिया वर्षों में एमएसपी की मांग को लेकर जहां किसान महीनों आंदोलन करते रहे वहीं उसके बाद अग्निवीर योजना से भी ग्रामीण अंचल खासा नाराज दिखाई देता है. इस कारण ही आर्थिक विश्‍लेषक कह रहे हैं कि इस बार सरकार किसानों के लिए पिटारा खोल सकती है. यह उम्‍मीद जताई जा रही है कि प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान निधि की राशि बढ़ाई जा सकती है. 


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प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान निधि (PM Kisan samman nidhi)
आर्थिक जानकारों के मुताबिक इस निधि की राशि बढ़ाकर आठ हजार रुपये की जा सकती है. मौजूदा व्‍यवस्‍था के तहत करीब देश के करीब 12 करोड़ किसानों को सालाना 6 हजार रुपये की राशि दी जाती है. उसी को बढ़ाकर सालाना आठ हजार किए जाने की उम्‍मीद है. किसान सम्‍मान निधि की किश्‍त हर 4 महीने में सरकार जारी करती है.


किसान क्रेडिट कार्ड पर बढ़ेगी लिमिट!
क‍िसान क्रेड‍िट कार्ड पर अभी तीन लाख रुपये तक का लोन सस्‍ती ब्‍याज दर पर द‍िया जाता है. ज‍िसे बढ़ाकर इस बजट में पांच लाख रुपये तक क‍िये जाने की उम्‍मीद है. प‍िछले द‍िनों व‍ित्‍त मंत्री न‍िर्मला सीतारमण ने भी बैंकों के चीफ के साथ मीट‍िंग में भी इस पर आदेश द‍िया था क‍ि क‍िसानों को आसानी से लोन मुहैया कराया जा सके.


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MSP से जुड़ी कोई घोषणा हो सकती है?
किसान आंदोलनों में न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) को कानूनी गारंटी देने की मांग उठती रही है. विपक्ष भी इस मुद्दे पर किसानों के साथ है. कांग्रेस ने बजट से पहले सोमवार को कहा कि बजट में एमएसपी की कानूनी गारंटी की घोषणा की जानी चाहिए. इस बजट में स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की घोषणा करने की जरूरत है.


कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस बात पर जोर दिया कि कृषि कल्याण के लिए केंद्र सरकार की तरफ से आगामी बजट में तीन मुख्य घोषणाएं किए जाने की आवश्यकता है. उन्होंने केंद्र से मांग की, “स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप सी2+50 प्रतिशत के फॉर्मूले के अनुरूप एमएसपी के अंतर्गत आने वाली 22 फसलों के लिए एमएसपी बढ़ाएं, एमएसपी को कानूनी दर्जा दें और इसे मजबूती से लागू करने के लिए एक प्रणाली स्थापित करें."


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पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सरकार से आग्रह किया कि किसान कर्ज माफी की आवश्यकता का आकलन करने, परिमाण का आकलन करने और कृषि ऋण माफी के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक स्थायी आयोग की स्थापना की जानी चहिए. 


रमेश ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, "केंद्र सरकार की तमाम विफलताओं में से कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की क्षमताहीनता और दुर्भावना से भरा व्यवहार सबसे अधिक हानिकारक है."


उन्होंने दावा किया, "जहां यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) ने गेहूं की एमएसपी 119 प्रतिशत और धान की एमएसपी 134 प्रतिशत बढ़ाई थी वहीं मोदी सरकार ने इसे क्रमशः 47 प्रतिशत और 50 प्रतिशत बढ़ाया है. यह महंगाई और कृषि इनपुट की बढ़ती कीमतों के हिसाब से बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं है."


रमेश ने कहा, "किसानों का कर्ज बहुत बढ़ गया है. एनएसएसओ के अनुसार, 2013 के बाद से बकाया ऋण में 58 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. आधे से ज्यादा किसान कर्ज में डूबे हैं. 2014 के बाद से हमने एक लाख से अधिक किसानों को आत्महत्या करते देखा है."


रमेश के मुताबिक, 2008 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में संप्रग ने 72,000 करोड़ रुपये का कृषि ऋण माफ किया था, जिससे बड़ी संख्या में किसानों को लाभ हुआ था.