पीएम मोदी ने इस खास इंजन को दिखाई हरी झंडी, जानिए इससे होने वाले फायदे
प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को दुनिया के पहले डीजल - इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इंजन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इस इंजन को रेलवे के वाराणसी स्थित इंजन कारखाने डीएलडब्ल्यू में बनाया गया है.
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को दुनिया के पहले डीजल - इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इंजन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इस इंजन को रेलवे के वाराणसी स्थित इंजन कारखाने डीएलडब्ल्यू में बनाया गया है. वाराणसी रेल इंजन कारखाने में पीएम मोदी ने दिव्यांगों से भी मुलाकात की. वाराणसी के डीजल रेल इंजन कारखाने ने विश्व में पहली बार डीजल रेल इंजन को इलेक्ट्रिक रेल इंजन में बदलकर स्वर्णिम इतिहास रचा हैं. मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत स्वदेशी तकनीक पर इस डीजल इंजन रेल कारखाने ने डब्लूएजीसी 3 श्रेणी के डीजल इंजन को बिजली से चलने वाले इंजन में बदला है.
दुनिया में पहली बार हुआ प्रयोग
DLW की ओर से तैयार किए गए इस इंजन में भारी मालगाड़ियों को खींचने की क्षमता है. वहीं इस डीजल इंजन को बिजली से चलने वाले इंजन के तौर पर बदले जाने पर इस इंजन की क्षमता में 92 फीसदी का इजाफा हो गया है.
साथ ही डीजल की बजाय बिजली का प्रयोग किए जाने से अब यह इंजन वायु प्रदूषण भी नहीं करेगा. रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार डीजल इंजन को बिजली से चलने वाले इंजन में परिवर्तित करने पर हर साल एक इंजन से लगभग 1.9 करोड़ रुपये के इंधन की बचत होगी.
क्या हैं फायदे
- भारतीय रेलवे ने दुनिया में पहली बार एक डीजल इंजन को विद्युत इंजन में बदला.
- गौरतलब है कि भारतीय रेलवे पूरे देश में अपने नेटवर्क को विद्युतिकृत कर रही है.
- डीजल से विद्युत में बदलने से इस लोकोमोटिव की क्षमता 2600 एचपी से बढ़कर 5000 एचपी हो गई.
- डीजल इंजन को बिजली से चलने वाले इंजन में बदलने का काम 22 दिसंबर, 2017 को शुरू हुआ था और नया लोकोमोटिव 28 फरवरी, 2018 को तैयार हुआ.
- रेलवे के अनुसार डीजल लोकोमोटिव को इलेक्ट्रिक इंजन में बदलने तक का काम 69 दिन में पूरा हुआ.