RBI Govenor: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) के गवर्नर शक्तिकांत दास (shaktikanta das) ने आज एक बड़ा खुलासा कर दिया है. आरबीआई गवर्नर ने मंगलवार को जानकारी देते हुए बताया है कि भारत में अवस्फीति (यानी मुद्रास्फीति की वृद्धि दर में गिरावट) की प्रक्रिया धीमी होगी. दास ने कहा है कि ‘सेंट्रल बैंकिंग इन लंदन’ द्वारा आयोजित ग्रीष्मकालीन बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हमारे मौजूदा आकलन के अनुसार, अवस्फीति प्रक्रिया धीमी होने की संभावना है और मध्यम अवधि में मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर रखने के लक्ष्य के साथ इसका ताल्लुक हो सकता है.


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खुदरा मुद्रास्फीति 4,25 प्रतिशत पर
मई में खुदरा मुद्रास्फीति 4.25 प्रतिशत रहने के आधिकारिक आंकड़े के एक दिन बाद आरबीआई गवर्नर ने कहा कि हाल के महीनों में मुद्रास्फीति में कुछ नरमी के संकेत मिले हैं और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल, 2022 के 7.8 प्रतिशत स्तर से नीचे आ रही है.


मुद्रास्फीति अनुमान 5.1 प्रतिशत
उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए आरबीआई का मुद्रास्फीति अनुमान 5.1 प्रतिशत है जो अब भी चार प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर है. दास ने कहा कि आरबीआई को आर्थिक वृद्धि के लिए मूल्य स्थिरता बनाए रखने का दायित्व सौंपा गया है. 


आरबीआई ने ग्रोथ को दी प्राथमिकता
उन्होंने कहा कि अधिक जनसंख्या और जनसांख्यिकीय लाभांश का फायदा उठाने की जरूरत को देखते हुए आरबीआई वृद्धि संबंधी चिंताओं से बेखबर नहीं हो सकता है. दास ने कहा कि महामारी के दौरान आरबीआई ने मुद्रास्फीति के बजाय वृद्धि को प्राथमिकता दी थी.


भारत तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था
उन्होंने कहा है कि राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों की सक्रिय और समन्वित प्रतिक्रिया ने एक त्वरित पुनरुद्धार का आधार तैयार किया था. इन कदमों से जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2020-21 में गिरने के बाद जल्द ही पटरी पर आ गई. दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आरबीआई ने वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है और भारत इस साल सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा.


उन्होंने पूंजीगत व्यय पर सरकार के निरंतर जोर देने का स्वागत करते हुए कहा कि इससे अतिरिक्त क्षमता पैदा हो रही है और कॉरपोरेट निवेश चक्र में बहुप्रतीक्षित पुनरुद्धार को बल मिल रहा है. हम मानते हैं कि कीमतों में स्थिरता नहीं होने पर वित्तीय उथल-पुथल की आशंका अधिक होगी. यह लंबे समय में मौद्रिक नीति और वित्तीय स्थिरता की पूरकता में हमारे भरोसे को मजबूत को करता है.