RBI Monetary Policy: आरबीआई की 3 दिवसीय मौद्रिक समीक्षा निति की बैठक में कई अहम् फैसले लिए गए हैं. रिजर्व बैंक ने बैठक के बाद रेपो रेट में 0.50 फीसदी यानी 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया है. इस ऐलान के बाद आपकी EMI का बोझ बढ़ेगा, लेकिन इससे आपको फायदा भी मिल सकता है.  इससे ईएमआई तो बढ़ेगी लेकिन मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद भी मिलेगी.


आरबीआई के फैसले का मिलेगा फायदा 


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गौरतलब है कि आरबीआई ने इससे पहले 4 मई को भी 40 बेसिस प्वाइंट रेपो रेट बढ़ाया था. यानी महज 36 दिन के अंदर ही रेपो रेट में कुल 0.90 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इससे फिक्स डिपोजिट (एफडी, FD) निवेशकों के लिए खुशखबरी आएगी. दरअसल , लम्बे समय से एफडी में निवेश करने वाले लोग गिरावट का माहौल देख रहे हैं.


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एफडी ब्याज दरें 8 साल में 40 फीसदी घटीं 


एफडी रेट्स की बात करें तो देश के सबसे बड़े सार्वजानिक क्षेत्र के बैंक का आंकड़ा देखें तो पिछले 8 साल में देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक की एफडी ब्याज दरें 40 फीसदी तक घट चुकी हैं. सितंबर 2014 में एसबीआई एफडी पर 9 परसेंट की हाइएस्ट ब्याज दर दे रहा था, जबकि मई 2020 में यह घट कर बस 5.4 फीसदी रह गया है. दरअसल, एफडी में ब्याज दरों का घटना सीनियर सीटिजन के लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि ज्यादातर लोग अपने बुढापे के लिए इस ब्याज पर निर्भर रहते हैं. 


अब बढ़ेंगी एफडी पर ब्याज दरें


अब ये उम्मीद जताई जा रही है कि लगातार दो बार रेपो रेट में बढ़ोतरी से फिर से एफडी पर ब्याज दरें बढ़ेंगी. अगर एफडी इंट्रेस्ट रेट में 90 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी होती है तो ब्याज दर 5.5 प्रतिशत से 6.4 फीसदी हो जाएगी. इस आधार पर 5 साल के लिए एक लाख रुपये की एफडी करने पर आपको अतिरिक्त 5958 रुपये का ब्याज मिलेगा.


हालांकि पॉलिसी रेट बढने पर लोन महंगे होते हैं लेकिन एफडी की ब्याज दरों में भी बढ़ोतरी होती है. ऐसे में, आरबीआई के इस फैसले से लोगों को एफडी इंटरेस्ट में फायदा मिल सकता है.