RBI Meeting: बढ़ती महंगाई से परेशान जनता की आवाज क्या इस बार रिजर्व बैंक सुनेगा ? क्या इस बार होम लोन की ब्याज दरों से राहत मिलेगी ? क्या इस बार EMI का बोझ कम हो सकेगा ? इन तमाम सवालों के जवाब के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का मंथन आज से शुरू हो गया है. आरबीआई मौद्रिक समीक्षा बैठक आज से शुरू हो गई है.  4 से 6 दिसंबर तक चलने वाली आरबीआई की बैठक आज से शुरू हो गई है. 3 दिन की मंथन के बाद 6 दिसंबर तो रेपो रेट से पर्दा उठेगा. इस बार रेपो रेट में बदलाव होते हैं या नहीं इसका सबको इंतजार है.  


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आरबीआई की बैठख शुरू  


 भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 4-6 दिसंबर, 2024 को होने वाली है. दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर उम्मीद से कम रहने के बीच ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम ही है. खासबात ये है कि  वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्‍य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भी आरबीआई से ब्‍याज दरों में कटौती करने की अपील की है, लेकिन  आरबीआई ब्‍याज दरों पर अपना रुख नरम करेगा इसकी संभावना कम दिख रही है.  


अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने पर होगा फोकस
 
इस बैठक में केंद्रीय बैंक की कोशिश आर्थिक विकास और महंगाई दर में बैलेंस स्थापित कर देश की अर्थव्यवस्था की गति को तेजी से आगे बढ़ाने पर होगा. जानकारों कहा है कि बैठक में एक बार फिर फोकस रेपो दर पर है जो पिछली नौ एमपीसी बैठकों से 6.5 प्रतिशत पर स्थिर है. इस बार भी यथावत रहने की संभावना है. वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 5.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई. 


 वहीं, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) अक्टूबर में 6.21 प्रतिशत था, जो आरबीआई के 4.8 प्रतिशत के अनुमान से अधिक था. एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज ने अपने नोट में कहा कि आरबीआई के वृद्धि अनुमान में गिरावट और महंगाई दर के अनुमान में बढ़त होने की उम्मीद है. इस कारण रेपो रेट में कटौती की कोई संभावना नहीं है.  


बजाज ब्रोकिंग रिसर्च के अनुसार, आरबीआई का लक्ष्य आर्थिक प्रगति से समझौता किए बिना महंगाई पर नियंत्रण करना है. ब्रोकरेज ने कहा, "भारत की जीडीपी मजबूत बनी हुई है. ऐसे में विकास और महंगाई के बीच नीतिगत संतुलन महत्वपूर्ण होगा और एक 'न्यूट्रल' रुख एक संतुलित आर्थिक दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करेगा. 


आगे कहा कि इस बैठक के नतीजे पर बाजार और विश्लेषकों की बारीकी से नजर रहेगी, क्योंकि यह विकास और महंगाई की जटिल गतिशीलता के प्रबंधन के लिए आरबीआई के दृष्टिकोण पर और मार्गदर्शन प्रदान करेगा.  वित्त वर्ष 25 के लिए यह पांचवीं एमपीसी बैठक है. पिछली बैठक के दौरान आरबीआई ने रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा और अपना रुख "न्यूट्रल" कर दिया था. इनपुट-आईएएनएस