Inflation in India: रिजर्व बैंक ऑफ इंड‍िया (RBI) ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए खुदरा महंगाई दर पर अपना अनुमान 4.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा (MPC) के बाद इस बात पर जोर दिया कि केंद्रीय बैंक को कीमतों की स्थिति पर कड़ी नजर रखनी होगी और महंगाई पर सख्ती से लगाम लगानी होगी. अगर इस पर न‍ियंत्रण नहीं क‍िया गया तो महंगाई में फ‍िर से तेजी आ सकती है. गवर्नर ने यह भी कहा कि फ्लेक्‍सीबल इंफलेशन टारगेट (FIT) स्‍ट्रक्‍चर को 2016 में लागू किये जाने के बाद से आठ साल पूरे हो गए हैं. देश में यह 21वीं सदी का एक प्रमुख स्‍ट्रक्‍चरल सुधार है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

महंगाई दर 4.3 प्रतिशत रहने का अनुमान


केंद्रीय बैंक ने एफआईटी के तहत यह सुन‍िश्‍च‍ित किया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) बेस्‍ड खुदरा महंगाई उर दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत पर बनी रहे. आरबीआई ने 2024-25 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) बेस्‍ड महंगाई दर का अनुमान 4.5 प्रतिशत पर कायम रखा है. महंगाई दर के दूसरी तिमाही में 4.1 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है. वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के लिए मुद्रास्फीति के 4.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है.


महंगाई दर में धीरे-धीरे नरमी आने का अनुमान


जोखिम समान रूप से संतुलित हैं. दास ने बताया प्रतिकूल आधार प्रभाव तथा खाद्य पदार्थों कीमत में तेजी से सितंबर में महंगाई दर में तेजी देखने को मिल सकती है. अन्य कारकों के अलावा 2023-24 में प्याज, आलू और चना दाल के उत्पादन में कमी इसकी प्रमुख वजह होगी. उन्होंने कहा कि हालांकि अच्छी खरीफ फसल, अनाज के पर्याप्त भंडार और आगामी रबी मौसम में अच्छी फसल की संभावना से इस वर्ष की चौथी तिमाही में कुल महंगाई की दर में धीरे-धीरे नरमी आने का अनुमान है.


दास ने कहा कि प्रतिकूल मौसम और भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने की स्थिति में मुद्रास्फीति के ऊपर जाने का जोखिम है. अक्टूबर में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम में काफी उतार-चढ़ाव रहा है. जुलाई और अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय गिरावट आई है. इसकी मुख्य वजह आधार प्रभाव है. दास ने कहा कि खाद्य कीमतों में निकट अवधि में तेजी की आशंका के बावजूद घरेलू स्तर पर कीमत को लेकर जो स्थितियां बन रही हैं उससे आगे कुल मुद्रास्फीति में कमी आने का संकेत मिलता है. (इनपुट-भाषा)