Reserve Bank of India: र‍िजर्व बैंक ऑफ इंड‍िया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एमपीसी (MPC) की बैठक में कहा कि पिछले एक साल में मौद्रिक नीति को लेकर उठाए गए कदम का असर अब भी जारी है. उसपर करीब से नजर रखने की जरूरत है. दास ने एमपीसी (MPC) के पांच अन्य सदस्यों के साथ रेपो रेट को पुराने स्‍तर पर ही रखने का फैसला किया. केंद्रीय बैंक की तरफ से महीने की शुरुआत में पेश मौद्रिक नीति समीक्षा (MPC) में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा.


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रेपो रेट में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि


इससे पहले, आरबीआई (RBI) ने महंगाई दर को काबू में लाने के लिये पिछले साल मई से लेकर कुल छह बार में रेपो रेट में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि की थी. बैठक के ब्योरे के अनुसार, मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन से छह अप्रैल को हुई बैठक में दास ने कहा था, 'पिछले एक साल में मौद्रिक नीति को लेकर जो कदम उठाये गये हैं, उसका असर अब भी जारी है और उसपर करीब से नजर रखने की जरूरत है.'


महंगाई दर को 4 प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी
उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में महंगाई दर के नरम होने का अनुमान है. लेकिन इसके लक्ष्य के दायरे में आने की अवधि धीमी और लंबी हो सकती है. 2023-24 की चौथी तिमाही में महंगाई दर के कम होकर 5.2 प्रतिशत आने का अनुमान है, जो अब भी लक्ष्य से ज्यादा है. आरबीआई को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ महंगाई दर को चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है.


रेपो रेट बरकरार रखने पर सोचकर कदम उठाया गया
दास ने कहा, ‘इसलिए इस समय हमारा जोर महंगाई दर को टिकाऊ रूप से नीचे लाने पर है. दूसरी तरफ हमने जो पूर्व में कदम उठाये हैं, उसके प्रभाव को देखने के लिये स्वयं को कुछ समय देने की जरूरत है.’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए, मेरा मानना है कि हमने एमपीसी (MPC) की बैठक में रेपो रेट को बरकरार रखने को लेकर सोच-विचारकर कदम उठाया गया है.’


एमपीसी के सदस्य और आरबीआई (RBI) के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा ने कहा कि मुद्रास्फीति को लक्ष्य के दायरे में वापस लाने की प्रक्रिया धीरे-धीरे और असमान हो सकती है. लेकिन मौद्रिक नीति का लक्ष्य अन्य क्षेत्रों पर प्रभाव को कम करते हुए इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाना है. गौरतलब है क‍ि खुदरा महंगाई दर मार्च में घटकर 15 महीने के निचले स्तर 5.66 प्रतिशत पर आ गई है.


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