मुंबई : इथोपियन क्रैश मामला पहला नहीं है. करीब पांच महीने पहले भी बोइंग का एक विमान क्रैश हो गया था. दोनों क्रैश नए विमान के साथ हुआ है, इसलिए एविएशन सर्किल में काफी घबराहट है. यह हादसा अगर किसी पुराने एयरक्राफ्ट के साथ हुआ होता तो शंका जरूर रहती की पायलट की गलती हो सकती है. चूंकि, अभी दोनों क्रैश मामलो की जांच चल ही रही है और कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं. बोइंग का कहना है कि विमान में किसी तरह की प्रॉब्लम नहीं है. फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) जिसे विश्व की सबसे बड़ी रेगुलेटरी अथॉरिटी माना जाता है उसने अभी तक इस विमान को ग्राउंड करने को लेकर कोई आदेश नहीं दिया है.


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पूरे विश्व में 350 Boeing 737 Max8 विमान चलते हैं. भारत में कुल 17 बोइंग 737 मैक्स है जिनमें से 12 स्पाइस के पास और 5 जेट एयरवेज के पास है. भारत सरकार और DGCA को उपाय निकालने चाहिए कि दूसरी फ्लाइट कंपनियों को स्पाइस जेट के यात्रियों को ले जाने के लिए कहे. इस तरह का मामला किसी दूसरी एयरलाइन के साथ भी कभी भी हो सकता है.


 
ये एक नया विमान है, जिसमें कंप्यूटर की नई टेक्नोलॉजी लगाई गई है. हो सकता है कि विमान stabilize नहीं हुई हो. इसकी भी संभावना है कि पायलट की प्रॉपर ट्रेनिंग नहीं हुई हो, लेकिन बोइंग का मानना है कि वो अपने नए कंप्यूटर सिस्टम पर 2 महीने से काम कर रहे है और अप्रैल तक उसे ठीक कर पाएंगे. लेकिन इस सब प्रक्रिया में 3 से 4 हफ्ते तक वक्त निकल सकता है. नए कंप्यूटर सिस्टम का एक अलग मैनुअल होता है जिसके मुताबिक पायलट को ट्रेनिंग दी जानी होती है. लेकिन मैनुअल में इस नई टेक्नोलॉजी का जिक्र नहीं किया गया था. इथोपियन एयरलाइन का पायलट जिसे 6000 घंटे का अनुभव था, मुमकिन है कि उसे इस विमान की ज्यादा जानकारी न हो. ये सब अब जांच का विषय है. 


'बोइंग 737 मैक्स का परिचालन रोकने का कोई आधार नहीं'


बोइंग 737 का ओरिजिनल वर्जन करीब 50 साल पुराना है. बोइंग 737 में अपग्रेडिंग किया गया जिसके बाद बोइंग 737 मैक्स निकाला गया जिसमें बहुत ज्यादा और नए कंप्यूटर सिस्टम को लगाया गया है. इसमें हेवी फ्यूल एफिशिएंट इंजन लगाए गए है. ऐसे में सवाल उठता है कि पुराने विमान को नया बनाने की कोशिश की है तो मुमकिन है कि कहीं कोई चूक हुई हो.