Star Mark on Currency Note: आपने कई  बार 10 रुपये से लेकर 2000 हजार रुपये के नोट पर स्‍टार छपा हुआ देखा होगा. क्‍या आपने कभी सोचा है कि ये नोट नकली हो सकता है? ऐसे नोट मार्केट में कहां से आते हैं क्‍योंकि स्‍टार सीरीज वाले नोट कभी-कभी ही देखने को मिलते हैं. कई बार तो लोग इस तरह के नोट को लेने से भी कतराते हैं. आखिर नोट के सीरियल नंबर के बीच में ये स्‍टार क्‍यों और कहां से आया. अगर आपको भी नहीं पता तो चिंता मत करिए, हम आपको बताएंगे कि ये नोट असली होता है या नकली. स्‍टार सीरीज के नोट मार्केट में कब से आने लगे? आरबीआई इस तरह के नोट के बारे में क्‍या कहता हैं.    


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स्‍टार सीरीज के नोट स्‍वीकार करें या नहीं, RBI ने दिया जवाब 


आपको बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने स्‍टार सीरीज के नोट पहली बार 2006 में जारी किए थे. इन करेंसी नोटों को उन करेंसी नोटों के बदले छापा जाता है जो छपाई के दौरान खराब हो जाते हैं या उनमें किसी प्रकार की कोई त्रुटि रह जाती है. यानी जब नोट छपते हैं तो उनमें कुछ नोट की प्रिंटिंग में मिस्‍टेक हो जाती है. इस वजह से उन नोट को हटाना होता है और उसकी जगह नए नोट जारी किए जाते हैं. अब जब नए नोट जारी किए जाते हैं तो उन पर स्‍टार सीरीज लगी होती है. जिससे पता चल जाता है कि उस बंडल में कुछ नोट खराब हुए है. इन नोटों की वैल्‍यू दूसरे नोटों के बराबार होती है, बैंक इन्हें बिना किसी वेरीफिकेशन के एक्सेप्ट करती है. यानी ये नकली नोट नहीं होते.  
    
फिर 2009 से छपने लगे स्‍टार वाले नोट


पहले ऐसे करेंसी नोट केवल 10, 20 और 50 रुपये में ही छापे जाते थे. लेकिन 2009 के बाद से 100 रुपये मूल्य के स्टार करंसी नोट भी छापे जाने लगे. आपको बता दें कि स्टार सीरीज वाले करेंसी सामान्य करंसी नोट की तरह ही होते हैं, केवल पहले वाले 3 अक्षरों (प्रीफिक्स) के बाद एक स्टार चिन्ह बना होता है और बाद में सीरियल नंबर लिखा होता है. स्टार सीरीज वाले करेंसी नोटों की सीरीज में इस्तेमाल किए जाने वाले पहले 3 अक्षरों को दूसरे करेंसी नोटों की सीरीज में इस्तेमाल नहीं किया जा सकत. इसलिए ये आम छपने वाले नोटों से अलग होते हैं. जब भी ऐसे करेंसी नोट जारी किए जाते हैं उनके पैकेट के ऊपर एक स्ट्रिप देते हैं. उसके ऊपर लिखा होता है कि पैकेट में स्टार चिन्ह वाले नोट भी हैं, ताकि इनकी पहचान की जा सके. 


10 हजार के नोट भी थे प्रचलन में 


आजादी के पहले से ही आरबीआई ने ₹500, ₹1000 और ₹10000 के नोट छापे थे. इन नोट को जनवरी 1946 में विमुद्रीकृत कर दिया गया यानी इस समय इनकी नोटबंदी कर दी गई. फिर साल 1954 में ₹1000, ₹5000 तथा ₹10000 के बैंक नोटों को फिर से छापा जाने लगा. जनवरी 1978 में फिर से इन बैंक नोटों ₹1000, ₹5000 तथा ₹10000 को बंद कर दिया गया. महात्मा गांधी सीरीज के तहत जारी किए गए ₹500, ₹1000 मूल्यवर्ग के बैंक नोटों को कुछ सालों पहले 8 नवंबर 2016 की मध्यरात्रि से संचलन से हटा लिया गया था, और इसलिए अब ये वैध मुद्रा नहीं हैं. हालांकि सरकार ने उसी समय 500 रुपये का नया नोट जारी कर दिया था.  
  
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